विदेशी कारों की भारत में खराब सेफ्टी रेटिंग बड़ी समस्या, आखिर क्या है वजह?

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नई दिल्ली. भारत में बनी Kia Carens ने हाल ही में Global NCAP क्रैश टेस्ट में शामिल होने वाली नई कार थी. कोरियाई कार निर्माता को सेफ्टी के मामले में बड़ा झटका लगा है. हाल ही में इसे Global NCAP क्रैश टेस्ट में सिर्फ 3-स्टार रेटिंग मिली है. इस मॉडल को एडल्ट और चाइल्ड पैसेंजर दोनों की सेफ्टी के लिहाज से 3-स्टार मिले हैं.

Kia Carens में 6 एयरबैग के अलावा सभी बेसिक सेफ्टी फीचर्स मिलते हैं. इसमें इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल भी शामिल है. हालांकि, कार में 6 एयरबैग होने के बावजूद यह क्रैश टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. इससे सरकार की ओर से सभी कारों के लिए अगले साल से लागू किए जा रहे छह एयरबैग के नियम पर सवाल खड़े होते हैं, क्या वाकई एयरबैग को बढ़ाने से कार की सेफ्टी भी बढ़ती है?

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आखिर क्या है चिंता की वजह?
मनीकंट्रोल की खबर के मुताबिक, कैरेंस को कम सेफ्टी रेटिंग मिलना चिंता का कारण इसलिए है, क्योंकि इसकी कारों को अन्य देशों में 5 स्टार रेटिंग मिलती रही है. इससे पहले किआ मोटर्स की सेल्टोस के इंडियन वर्जन को भी 3-स्टार रेटिंग मिली थी. हालांकि, कई अन्य देशों में सेल्टोस ने सेफ्टी के मामले में अच्छा प्रदर्शन किया और 5 स्टार रेटिंग हासिल की. जब भारत में बने मॉडल के सुरक्षा स्तरों और अंतरराष्ट्रीय मॉडल के बीच आने वाले सुरक्षा स्तर अंतर के बारे में कंपनी से संपर्क किया गया, तो किआ मोटर्स इंडिया ने इसपर बोलने से इनकार कर दिया.

भारत के लिए क्यों है डबल स्टैंडर्ड?
किआ एकमात्र कार निर्माता नहीं है, जिसने भारत में बनी कारों के लिए कम सेफ्टी रेटिंग हासिल की है. 1998 से देश में बिजनेस कर रही हुंडई मोटर इंडिया भी कम सुरक्षा स्तरों के लिए भी बदनाम है. हुंडई की i20 की बात करें तो हाल ही में ग्लोबल एनसीएपी से इसे 3-स्टार रेटिंग मिली थी, लेकिन यूरोपियन i20 को 2016 में यूरो एनसीएपी ने 4 स्टार रेटिंग दी थी.  Creta, i20 और Grand i10 Nios सहित हाल ही में टेस्ट की गए सभी Hyundai कारों ने अभी तक 3-स्टार से ज्यादा रेटिंग हासिल नहीं की है. इसी वजह ने कार निर्माताओं और केंद्र सरकार दोनों को इस बात पर सोचने के लिए मजबूर किया है.

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रेटिंग में अंतर क्यों?
किआ कैरेंस में छह एयरबैग होने के बावजूद XUV700 के बराबर 5 स्टार रेटिंग हासिल करने में फेल रही, जिसे केवल दो एयरबैग के साथ टेस्ट किया गया था. इसकी वजह यह है कि कैरेंस की स्ट्रक्चर बनाने में काफी हल्के मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है. दुर्घटना की स्थिति में मजबूत  बॉडी काफी अहम रोल निभाती है. ज्यादा एयरबैग जैसे साइड और कर्टेन एयरबैग फ्रंटल इफेक्ट के प्रभाव को कम करने में उतनी भूमिका नहीं निभाते हैं. मजबूत बॉडी बनाने में कार की कीमत बढ़ जाती है, क्योंकि इसमें ऊंचे दर्ज का मटेरियल इस्तेमाल करना होता है.

सरकार क्या कर रही?
भारत में कारों को सेफ्टी रेटिंग देने के लिए बनाई गई एजेंसी Bharat NCAP (भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) अगले साल से देश में निर्मित वाहनों का क्रैश टेस्ट शुरू करेगी. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंजूरी देते हुए कहा था कि ये टेस्ट अगले साल अप्रैल से शुरू होंगे. इसके लिए कारों को सेफ्टी रेटिंग पाने से पहले किन चरणों से गुजरना होगा. इसमें उन कैटेगरी का भी जिक्र किया गया है, जिनके लिए कारों का टेस्ट किया जाएगा.

सेफ्टी की चांज करती है ग्लोबल NCAP
ग्लोबल NCAP की “SaferCarsForIndia” पहल 2014 में शुरू हुई और तब से, भारत में कारों और उनके क्रैश सुरक्षा मानदंडों को बनाने के लिए कड़ी मेहनत की पैरवी की है.  ग्लोबल एनसीएपी, एक गैर-लाभकारी संगठन जो अपने स्वतंत्र रूप से कारों का क्रैश टेस्ट करता है. हाल ही में किए गए क्रैश टेस्ट के दौरान 5-स्टार रेटिंग हासिल करने के लिए महिंद्रा एक्सयूवी 700 को “सेफर चॉइस अवॉर्ड” से सम्मानित किया था.

Tags: Auto News, Autofocus, Car Bike News, Kia motors

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