राहुल गांधी पर कार्रवाई से नाराज कांग्रेस ने लगाए आरोप, तो बीजेपी नेताओं ने दिया जवाब

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नई दिल्‍ली. राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi)  की लोकसभा से सदस्‍यता जाने को लेकर आरोप- प्रत्‍यारोप का दौर जारी है. 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक में एक चुनावी रैली में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर जो टिप्पणी की थी, उसी को आधार मानते हुए सूरत की एक अदालत ने उनको दोषी माना और उन्हें 2 साल की सजा सुना दी. राहुल गांधी ने उस चुनावी सभा में नीरव मोदी, ललित मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? कुछ इसी तरह के आपत्तिजनक बयान दिए थे जिसको लेकर अदालत में मानहानि का मुकदमा दर्ज किया गया था. लंबी चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने राहुल गांधी को सजा सुनाई और अब कोर्ट की कार्रवाई के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्‍यता खत्‍म कर दी है.

कांग्रेस के सभी नेताओं ने राहुल गांधी का बचाव किया और इस फैसले के विरोध में एक रैली भी निकाली. इसके साथ ही साथ, कांग्रेस की ओर से इसे विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश बताते हुए इसे फ्रीडम ऑफ स्पीच का उल्लंघन भी माना. इधर कांग्रेस नेताओं ने तमाम आरोप भी लगाए. वहीं दूसरी ओर sachhikhabar से बीजेपी के बड़े नेताओं ने कहा कि फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर कोई भी व्यक्ति कुछ भी नहीं बोल सकता है. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की मानसिकता ओबीसी समाज के खिलाफ है. इसी को लेकर के उन्होंने इस तरह के बयान दिए हैं. भूपेंद्र यादव इसे राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी का अहंकार भी बता रहे हैं. भूपेंद्र यादव का कहना है कि एक कानूनी प्रक्रिया के तहत 4 साल की सुनवाई के बाद राहुल गांधी को यह सजा दी गई है जिसमें राहुल गांधी को अपना पक्ष रखने का मौका मिला. वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने sachhikhabar को बताया कि इसी मामले में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने भी एक मुकदमा दायर कर रखा है जिसमें उनका पक्ष सुना जा चुका है.

इन कारणों से जाती है सदस्यता
किसी भी सांसद और विधायक की सदस्यता तीन कारणों से जाती है. इसमें पहला कारण जिसके तहत संविधान के अनुच्छेद 102(1) और 191(1) में सांसद या विधायक को अयोग्य ठहराया जाता है. इसमें ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला के साथ साथ मानसिक तौर से स्वस्थता या फिर उसकी नागरिकता को लेकर विवाद हो. इसके साथ ही संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत दलबदल का दोषी पाने पर भी सदस्यता चली जाती है. 1951 के जनप्रतिनिधि कानून के अंतर्गत 2 या 2 साल से अधिक की सजा होने पर भी सांसद या विधायक की सदस्यता चली जाती है.

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