मणिपुर हिंसा: 17 गोलियां लगने पर भी गांव की रक्षा करता रहा युवक, अब तक लड़ रहा जिंदगी की जंग

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आइजोल. मणिपुर में जातीय संघर्ष के दौरान 17 गोलियां लगने से घायल हुए 25 वर्षीय व्यक्ति का पड़ोसी राज्य मिजोरम में एक सरकारी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. पीड़ित की पहचान पोगिनमुआन के तौर पर हुई है. उसे बेहतर चिकित्सकीय सुविधाओं के लिए रविवार को पड़ोसी राज्य के चुराचंदपुर जिले से आइजोल सरकारी अस्पताल ले जाया गया.

अधिकारी ने बताया कि तीन मई को गांव में हुई हिंसा के दौरान उसे एक देसी पिस्तौल से कम से कम 17 गोलियां मारी गई थीं. गोलियां उसे पीठ और गर्दन में लगीं. चुराचंदपुर में ही इनमें से चार गोलियां निकाल ली गई थीं.उन्होंने बताया कि चुराचंदपुर के चिकित्सकों ने कहा था कि उनके पास रीढ़ की हड्डी तथा संवाहक नसों के करीब लगी गोलियों को निकालने के लिए आवश्यक उपकरण नहीं है, जिसके बाद पोगिनमुआन को आइजोल ले जाया गया.

अधिकारी ने बताया कि सोमवार को भी गोलियां निकालने की कोशिश जारी रही. पोगिनमुआन को ‘ऑपरेशन थिएटर’ में ले जाने से पहले ‘पीटीआई-भाषा’ ने उनसे बात की. चिन-कुकी-मिजो जनजाति से ताल्लुक रखने वाले पोगिनमुआन ने दावा किया कि वह और उनके दोस्त अपने गांव की रक्षा कर रहे थे, जब हथियारों से लैस कुछ बदमाशों ने तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ समाप्त होने के बाद उन पर हमला किया.

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पोगिनमुआन ने दावा किया कि उसके दो दोस्त मारे गए और वह घायल हो गया. गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को 10 पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसक झड़पें हुईं थीं. जातीय हिंसा में कम से कम 73 लोगों की मौत हो गयी जबकि 231 लोग घायल हो गए और धार्मिक स्थानों समेत 1,700 मकान जला दिए गए.

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