भीषण गर्मी में तप रहा तमिलनाडु, सूख गए तालाब, पानी में उतराती दिखीं बेजान मछलियां

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हाइलाइट्स

तमिलनाडु के विरुधुनगर में स्थित गुलनूर बाजार जलाशय में उतराती दिखीं बेजान मछलियां
99 प्रतिशत मृत मछलियां पुंटियस टिक्टो प्रजाति की हैं.
2016 में बैंगलोर की उलसूर झील के किनारे भी मछलियां मृत पाई गईं थीं

विरुधुनगर. तापमान में वृद्धि ने तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए बाहर निकलना मुश्किल बना दिया है. दोपहर में गर्म हवाओं के साथ चिलचिलाती सूरज की किरणें यहां रहने वालों के लिए एक बड़ी अग्निपरीक्षा साबित हो रही हैं. वर्तमान में यहां तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच रहा है, जो स्थानीय लोगों के जीवन को प्रमुख रूप से प्रभावित कर रहा है. तमिलनाडु के विरुधुनगर शहर में स्थिति बदतर हो गई है. विरुधुनगर के गुलनूर बाजार जलाशय की सतह पर मरी हुई मछलियों को उतराते देखा गया था. न्यूज़ 18 तमिल द्वारा कैप्चर किए गए एक वीडियो में मृत मछलियों को पानी में बेजान पड़े दिखाया गया है.

बढ़ती गर्मी को लेकर यहां लोगों को उम्मीद थी कि कथिरी वेयिल की अवधि समाप्त होने के साथ गर्मी कम हो जाएगी. कथिरी वेयिल, जिसे अग्नि नक्षत्रम के नाम से भी जाना जाता है, वह समय होता है जब सूर्य कृत्तिका तारे के ऊपर से गुजरता है. इस अवधि को सबसे गर्म गर्मी के दिनों के रूप में जाना जाता है. लेकिन कथिरी वायिल के समापन के बाद भी, विरुधुनगर के लोगों पर सूरज का प्रकोप जारी है. इंसान ही नहीं बल्कि असहनीय गर्मी का असर जानवरों पर भी पड़ने लगा है.

सतह पर हर तरफ मरी पड़ी हैं मछलियां
यहां गर्मी के कारण जहां जलस्रोत सूख रहे हैं, वहीं इस भयानक गर्मी में मछलियां भी मर रही हैं. हाल ही में विरुधुनगर के गुलनूर बाजार जलाशय में सतह पर मरी हुई मछलियों को उतराते देखा गया था. न्यूज़ 18 तमिल द्वारा कैप्चर किए गए एक वीडियो क्लिप में मृत मछलियों को पानी में बेजान तैरते हुए दिखाया गया है. कुछ रेत पर पड़ी दिखाई दे रही हैं. क्षेत्र में सूखे जैसी स्थिति बनी हुई है, जिसमें पानी का स्तर काफी कम हो गया है. जहां भी नजर जा रही है चारों ओर मरी हुई मछलियां पड़ी हैं.

2016 में बैंगलोर की उलसूर झील के किनारे भी मछलियां मृत पाई गईं थीं
यह हृदयविदारक दृश्य वास्तव में एक गंभीर तस्वीर पेश कर रहा है, जो हमें प्रकृति के प्रकोप की याद दिलाता है. रिपोर्टों के अनुसार, स्थानीय लोगों ने कहा है कि तापमान बढ़ने के कारण अधिक से अधिक मछलियां मर रही हैं. वर्षों से मछलियों के मरने के कई उदाहरण सामने आए हैं. प्राथमिक कारण प्रदूषण, चिलचिलाती धूप, तापमान और संबंधित अधिकारियों की लापरवाही है. इससे पहले 2016 में बैंगलोर की उलसूर झील के किनारे मछलियां मृत पाई गईं थीं. निवासियों के अनुसार, झील में सीवेज के पानी के निरंतर प्रवाह और पानी में नाइट्रोजन के उच्च स्तर के साथ तेज गर्मी के परिणामस्वरूप मछलियों की मौत हो गई.

99 प्रतिशत मृत मछलियां पुंटियस टिक्टो प्रजाति की हैं
एक पूर्व वैज्ञानिक ने स्थिति का विश्लेषण करते हुए बताया, “लगभग 99 प्रतिशत मृत मछलियां पुंटियस टिक्टो प्रजाति की हैं, जो राज्य के लिए स्वदेशी हैं और चार इंच तक लंबी हो सकती हैं. इससे थोड़ी बड़ी लाबियो रोहिता हैं, जिन्हें रोहू के नाम से भी जाना जाता है, जो बहुत कम संख्या में हैं.”

Tags: Heat Wave, River, Tamilnadu news, Water Crisis

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