बिहारी तो दिल्ली में रिक्शा चलाता है, हॉकी क्या खेलेगा? इस ताने ने इंडिया ही नहीं अमेरिका का भी बनाया कोच

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विशाल कुमार/छपरा : बिहारी तो दिल्ली में रिक्शा चलाता है, हॉकी क्या खेलेगा? जी हां! बिहार के एक आर्मीमैन के बेटे को दिल्ली में मिला यह ताना इतना चुभ गया कि वह देश के लिए तो खेला ही, अमेरिका के पुरुष हॉकी टीम का कोच भी बन गया. हम बात कर रहे हैं अमेरिका के पुरुष हॉकी टीम के कोच हरेंद्र सिंह की. वे बिहार के छपरा जिले के रहने वाले हैं. इनदिनों बिहार में खेल को बढ़ावा देने के लिए अपने गांव आए हुए हैं. हॉकी को लेकर उन्होंने जो खुलासे किए, वह रौंगटे खड़े कर देंगे.

पाकिस्तान से मैच हारा भारत, तो इसे ही बना लिया करियर
हरेंद्र बताते हैं कि एक बार मेरे पिता का ट्रांसफर हजारीबाग हो गया. वहां सभी लोग हॉकी खेलते थे, तो मैंने भी उनलोगों के साथ हॉकी खेलना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्हें पढ़ने के लिए दिल्ली भेज दिया गया. वर्ष 1982 में दिल्ली में एशियन गेम्स चल रहे थे. इसमें पाकिस्तान ने इंडिया को 7-1 से हरा दिया. लेकिन मैं तो पाकिस्तान के चौथे गोल के बाद ही स्टेडियम से बाहर आ गया. तभी सोचने लगा कि मुझे हॉकी ही खेलना है और पाकिस्तान टीम को हराना है.

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एक ताने ने बदल दी जिंदगी
हरेंद्र बताते हैं कि दिल्ली में जब मैं स्कूल में था, तो एक घटना हो गई. वहां हॉकी खेलने वाले 30-35 लड़के थे. जबकि टीम तो 11 प्लेयर की ही बनती थी. बाकि प्लेयर को बाहर बैठना होता थी. टीम चुनने के लिए एक टोटका होता था. लाइन के बाहर जिसका स्टीक गिरता था, उसे बाहर बैठना पड़ता था. लेकिन मेरा स्टीक आधा अंदर और आधा बाहर गिरा था. तभी एक लड़के ने ताना मारा कि बिहारी तो दिल्ली में रिक्शा चलाते हैं, हॉकी कौन खेलेगा? यह बात हरेंद्र को इतनी चुभी कि उन्होंने हॉकी को ही अपना करियर बना लिया. फिर तो स्कूल से लेकर कॉलेज और फिर नेशनल-इंटरनेशनल तक खेला, फ्रांस से खेला. कई गोल्ड मेडल जीता. इंडियन एयरलाइंस में जॉब मिल गई. द्रोणाचार्य अवार्ड भी मिला. अब तो अमेरिका में हॉकी सिखाते हैं. लेकिन दिल तो बिहार की प्रतिभाओं को निखारने का करता है. इसलिए यहां इसे बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं.

Tags: Bihar News, Chapra news, Hockey, Local18

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