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हाइलाइट्स
एंडोमेट्रियोसिस बीमारी का पता लगाना भी आसान नहीं होता है.
समय-समय पर जांच करके इसका वक्त रहते पता लगा सकते हैं.
Endometriosis Treatments: अगर बीमारियों का पता सही वक्त पर लग जाए, तो उनका इलाज कर लोगों को काफी राहत मिल सकती है. हालांकि कई बीमारियां ऐसी होती हैं, जिनके शुरुआत में स्पष्ट लक्षण नजर नहीं आते हैं. इसकी वजह से लोगों को इसका लंबे समय तक पता ही नहीं लग पाता है. ऐसी ही एक बीमारी एंडोमेट्रियोसिस है, जो महिलाओं के गर्भाशय और अन्य अंगों में फैल जाती है. इससे उन्हें भयंकर दर्द का सामना करना पड़ता है और कई बार इसकी वजह से वे मां बनने का सुख प्राप्त नहीं कर पाती हैं. आखिर एंडोमेट्रियोसिस क्या है और इसका पता कैसे लगाया जाए? इन सभी सवालों के जवाब एक्सपर्ट्स से जान लेते हैं.
नई दिल्ली के फोर्टिस ला फेम हॉस्पिटल के गायनेकोलॉजी एंड आब्स्टिट्रिशन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. मधु गोयल ने News18 को बताया कि महिलाओं के गर्भाशय में एक लाइनिंग होती है, जिसे एंडोमेट्रियम कहते हैं. जब इस जैसा टिश्यू (Tissue) गर्भाशय के बाहर अंडाशय, पेरिटोनियम या फैलोपियन ट्यूब में मिले, तब इस कंडीशन को एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है. इस तरह का टिश्यू शरीर के किसी भी हिस्से में मिल सकता है. यह आंत, अपेंडिक्स, फेफड़े, लिवर और ब्रेन में भी मिल सकता है.
डॉक्टर मधु कहती हैं कि पीरियड्स के दौरान बहुत तेज दर्द आमतौर पर एंडोमेट्रियोसिस का मुख्य लक्षण होता है. यह दर्द इतना गंभीर होता है कि कई बार महिलाएं इसकी वजह से चलने-फिरने में भी परेशानी महसूस करती हैं. इस बीमारी से महिलाओं की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित होती है. इस बीमारी की वजह से महिलाओं को पीरियड से पहले, पीरियड के समय या इसके बाद भयंकर दर्द होता है. इसे कंट्रोल करने के लिए पेनकिलर्स और इंजेक्शन का सहारा लेना पड़ता है.
एक्सपर्ट की मानें तो एंडोमेट्रियोसिस की वजह से होने वाला दर्द बेहद परेशान करने वाला हो सकता है. यह दर्द पीरियड्स के बीच भी हो सकता है. इसके अलावा यौन संबंध बनाने में अत्यधिक दर्द भी इस बीमारी का संकेत हो सकता है. अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, तो यह भी एंडोमेट्रियोसिस का संकेत हो सकता है.
इस बीमारी की वजह से महिलाएं डिप्रेशन में भी जा सकती हैं. एंडोमेट्रियोसिस की वजह से 50 प्रतिशत मरीजों में फर्टिलिटी संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं और उन्हें फर्टिलिटी बढ़ाने वाली सर्जरी या अन्य ट्रीटमेंट की जरूरत हो सकती है.चिंता की बात यह है कि कई बार इस बीमारी का पता स्कैन के जरिए नहीं लग पाता है. कई बार स्कैन सामान्य होने पर भी एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है.
ग्रेटर नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. सोनाली गुप्ता ने News18 को बताया कि एंडोमेट्रियोसिस एक गंभीर समस्या है, जिसे इलाज के जरिए कंट्रोल किया जाता है. इस बीमारी का ट्रीटमेंट पेशेंट के लक्षणों पर आधारित होता है. कई बार पेन किलर्स, गर्भनिरोधक गोलियां, डायनोजेस्ट, इंजेक्शन या इंट्रा गर्भाशय उपकरणों से इसका इलाज किया जाता है. जब परेशानी ज्यादा बढ़ जाए, तो सर्जरी के जरिए एंडोमेट्रियोसिस का इलाज किया जाता है.
डॉक्टर सोनाली के मुताबिक कई बार एंडोमेट्रियोसिस से निजात पाने के लिए गर्भाशय को ही सर्जरी कर शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है. अगर सही वक्त पर इस बीमारी का पता चल जाए, तो इसे बेहतर तरीके से कंट्रोल किया जा सकता है. एक्सपर्ट की मानें तो एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण इतने अस्पष्ट हो सकते हैं कि इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है. इसका सही समय पर पता लगाने के लिए नियमित पेल्विक परीक्षण और जागरुकता बहुत जरूरी है.
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Tags: Health, Lifestyle, Woman
FIRST PUBLISHED : March 22, 2024, 14:20 IST
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