नौकरी छोड़ी, किराये पर लिए अस्पताल, इस महिला डॉक्टर ने 5 साल में खड़ा कर दिया 11,400 करोड़ का मेडिकल कारोबार

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हाइलाइट्स

डॉ गरिमा साहनी की कंपनी ने अस्पतालों में बेकार पड़े खाली स्पेस का इस्तेमाल किया.
खुद के मेडिकल इंफ्रा, डॉक्टर्स व स्टाफ की मदद से रोगियों का इलाज किया. 
फिलहाल कंपनी की वैल्यूएशन 1.4 अरब डॉलर यानी 11400 करोड़ रुपये है.

नई दिल्ली. देश में कई कारोबारियों ने मेहनत के बल पर अपने बिजनेस वेंचर को बुलंदियों पर पहुंचा दिया है. हम आपको एक ऐसे सफल मेडिकल एन्टरप्रिन्योर की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने महज एक दशक के करियर में 11,400 करोड़ का मेडिकल बिजनेस खड़ा कर दिया. गुरुग्राम की डॉ गरिमा साहनी ने नौकरी छोड़कर अपने स्टार्टअप प्रिस्टेन केयर की शुरुआत की.

डॉ गरिमा साहनी ने अपने पति वैभव और एक दोस्त के साथ मिलकर प्रिस्टन केयर क्लिनिक की शुरुआत की. वक्त के साथ-साथ उन्होंने एक अनोखे तरीके से अपने क्लिनिक की संख्या बढ़ाई और धीरे-धीरे करके 11,400 करोड़ का बिजनेस साम्राज्य खड़ा कर लिया. आइये जानते हैं आखिर कैसे डॉ गरिमा साहनी ने कामयाबी पाई.

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पुराने अस्पतालों का इस्तेमाल से करोड़ों का बिजनेस
डॉ गरिमा साहनी ने अपने क्लिकल प्रिस्टिन केयर की शुरुआत के बाद उसे नए अवतार में फिर से लॉन्च किया और प्रयोग बेहद सफल रहा. दरअसल उनका बिजनेस मॉडल था कि अस्पतालों में बेकार पड़े खाली स्पेस का इस्तेमाल करें और उन स्थानों पर अपने मेडिकल इंफ्रा, डॉक्टर्स व स्टाफ की मदद से रोगियों का इलाज करें. इसके लिए उन्हें पैसों की जरूरत थी, जिसे सिकोइया कैपिटल ने निवेशक के रूप में पूरा किया. कंपनी के लॉन्च होने के 3 साल के अंदर ही यह स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन गया. फिलहाल कंपनी की वैल्यूएशन 1.4 अरब डॉलर यानी 11400 करोड़ रुपये है.

5 साल में खड़ा किया करोड़ों का कारोबार
डॉ गरिमा साहनी को स्टार्टअप का यह आइडिया अपने मेडिकल बिजनेस से मिला. 2018 में गुड़गांव में प्रिस्टिन केयर की स्थापना की. यह 42 से अधिक शहरों में मौजूद है और इसके 15 लाख मरीज हैं. कंपनी ने अपने बिजनेस का विस्तार करते हुए 800 से अधिक अस्पतालों के साथ पार्टनरशिप की है.

प्रिस्टन केयर वित्तीय वर्ष 2024 तक 1000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल करना चाहती है. फाइनेंशियल ईयर 22 में कंपनी ने 350 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया. कंपनी का 60 प्रतिशत रेवेन्यू पेशेंट सर्जरी से आता है.ऑपरेशन थियेटर और बेड की औसत ऑक्यूपेंसी 20 फीसदी है.

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