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नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम ने एक से बढ़कर एक खिलाड़ी इंटरनेशनल क्रिकेट को दिए हैं. दो दशक से भी ज्यादा क्रिकेट की दुनिया पर राज करने वाले एक बैटर का नाम जब कभी भी लिया जाता है तो गेंदबाजों के मायूस चेहरे नजर आने लगते हैं. कमाल की बात यह है कि 200 टेस्ट मैच खेलने वाले भारत के इस दिग्गज ने सबसे ज्यादा बार वनडे विश्व कप खेला लेकिन आखिरी बार में जाकर उनको ट्रॉफी चूमने का मौका मिला. क्रिकेट किट के भगवान की तरह पूजने वाले इस धुरंधर का काम ड्रेसिंग रूम में बाकी खिलाड़ियों के बल्ले, पैड और ग्लब्स को ठीक करना होता था.
भारतीय क्रिकेट टीम ने साल 1989 में एक ऐसे क्रिकेटर को मैदान पर उतरते देखा जिसकी उम्र महज 17 साल थी. चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ कराची टेस्ट में सचिन तेंदुलकर ने अपना टेस्ट डेब्यू किया था. इसके बाद दिसंबर में उनको वनडे डेब्यू का मौका भी पाकिस्तान के खिलाफ ही मिली. सचिन तेंदुलकर के नाम भारत की तरफ से सबसे ज्यादा वनडे वर्ल्ड कप खेलने का रिकॉर्ड दर्ज है. जबकि विश्व कप क्रिकेट में वो पाकिस्तान के पूर्व कप्तान जावेद मियांदाद के साथ संयुक्त रूप से पहले स्थान पर हैं.
सचिन ड्रेसिंग रूम में करते थे रिपेयरिंग का काम
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की यह बात जगजाहिर है और इसे उन्होंने कुछ इंटरव्यू के दौरान भी बताया है. ड्रेसिंग रूम में जब किसी भी खिलाड़ी किट में कोई परेशानी होती थी तो वो सचिन के पास जाता था. सचिन बल्ला, पैड, ग्लब्स, और यहां तक की जूतों को भी रिपेयर करने का सारा सामान अपने साथ लेकर चलते थे. एक शो के दौरान सचिन ने बताया था कि मेरा हमेशा से ही आदत थी कि खराब चीजों को ठीक किया करता था. मुझे ऐसा करने में बहुत ही मजा आता था.
अब रिटायरमेंट के बाद भी मैं कभी घर पर रहता हूं तो खाली बैठना पसंद नहीं करता. मैं किसी पूरे घर में घूम घूम कर हर एक चीज को चेक करता रहता हूं. पंखा, लाइट, टीवी जो भी है सब चेक करता हूं. मेरी पत्नी अंजली को ये अच्छा नहीं लगता और वो सोचती रहती हैं सबकुछ ठीक तो है क्यों पीछे लगे हैं.
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Tags: Sachin tendulkar
FIRST PUBLISHED : March 20, 2023, 21:59 IST
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