जन्म लेते ही पिता ने सुनाई सारंगी की धुन, पूर्वजों की विरासत को बढ़ाया आगे, जानें सारंगी वादक की कहानी

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अंकित राजपूत/जयपुर:- राजस्थान की धरती को कला और संस्कृति की धरती कहा जाता हैं. यहां लोग अपनी कला से लोगों को मोहित कर लेते हैं. ऐसे ही जयपुर के रहने वाले पद्मश्री सारंगी वादक मोइनुद्दीन खान को हाल ही में राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. मोइनुद्दीन खान सारंगी बजाने के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. सारंगी वादक उस्ताद मोइनुद्दीन खान ने महज 5 साल की उम्र में पिता उस्ताद महबूब खान से सारंगी की शिक्षा ली और एक बेहतरीन सारंगी वादक बन गए. आपको बता दें मोइनुद्दीन खान फ्रांस, डेनमार्क, ओमान, इजिप्ट, इंग्लैंड जैसे कई देशों में भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं. साल 2014 में इन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. मोइनुद्दीन खान हिंदुस्तानी शास्त्रीय और सुगम भारतीय संगीत, विलाम्बित और अस्थै आलाप अंतरा प्रस्तुत के लिए प्रसिद्ध हैं.

जन्म हुआ, तो कान में सुनाई गई सारंगी की धुन
पद्मश्री मोइनुद्दीन खान बताते हैं कि उनके परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी सारंगी के कलाकार रहे हैं. जब उनका जन्म हुआ था, तब उनके कानों में सबसे पहले सारंगी की धुन बजाई गई थी. मोइनुद्दीन खान का कहना है कि हमारे पूर्वज राजा-महाराजाओं के यहां राज दरबार में सांरगी बजाया करते थे और पूरे राजस्थान में सारंगी की कला हमारे परिवार से ही हुई. सारंगी वादक के रूप में राजस्थान में सबसे पहले मुझे पद्मश्री से नवाजा गया. पद्मश्री के अलावा राज्य स्तर पर सैकड़ों पुरस्कार प्राप्त किए जा चुके हैं.

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दिन रात मेहनत से किया सारंगी का रियाज
मोइनुद्दीन खान बताते हैं कि उनके पिता और गुरु उस्ताद महबूब खान ने उन्हें बचपन से ही सारंगी की बारिकियां सिखाई. साथ ही सारंगी के साथ गाने की रियाज भी उन्होंने अपने पिता से ही सिखी. मोइनुद्दीन खान ने ऑल इंडिया रेडियो से लेकर दूरदर्शन तक अपनी सारंगी की धुन का जादू बिखेरा है. अंग्रेजी फिल्म ‘होली स्मोक एएफ’ में भी मोइनुद्दीन खान द्वारा सारंगी बजाई जा चुकी है. मोइनुद्दीन खान को राष्ट्रीय और राज्य सरकार के अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी पुरस्कार मिल चुका है.

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