चीन में कोरोना की नई लहर से बढ़ी टेंशन, इसका भारत पर कितना प्रभाव? जानें एक्सपर्ट्स की राय

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नई दिल्ली. भारत के पड़ोस चीन में एक बार फिर से कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रभाव बढ़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि चीन में कोविड-19 संक्रमण की मौजूदा लहर जून के अंत तक एक सप्ताह में 65 मिलियन तक हो सकती है, लेकिन इससे भारत को चिंतित नहीं होना चाहिए. विशेषज्ञों की मानें तो देश पहले ही ओमीक्रॉन सबवेरिएंट के संपर्क में आ चुका है, इसलिए यहां नई लहर का प्रभाव उतना नहीं रहेगा.

ब्लूमबर्ग समाचार एजेंसी ने एक स्थानीय मीडिया आउटलेट का हवाला देते हुए बताया कि मई के अंत तक एक सप्ताह में 40 मिलियन संक्रमण होने की उम्मीद है, जो एक महीने बाद 65 मिलियन तक पहुंच जाएगा. उन्होंने कहा, ‘चीन अब जो देख रहा है, भारत उस चरण से काफी आगे निकल चुका है और बचकर उभरा है. यदि आप पिछले साल उस समय के आसपास जारी आईएनएसएसीओजी बुलेटिनों को देखें, तो उनमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि भारत में उस अवधि में बीमारी की गंभीरता या अस्पताल में भर्ती होने में कोई वृद्धि नहीं देखी गई थी.

आईएनएसएसीओजी या भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम स्वास्थ्य मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की एक संयुक्त पहल है, जिसमें 54 प्रयोगशालाएं शामिल हैं. यह सार्स-सीओवी-2 में जीनोमिक विविधताओं की निगरानी करती हैं.

एक्सबीबी ओमीक्रॉन का सबवेरिएंट
लैंसेट के एक अध्ययन के अनुसार, एक्सबीबी, जो ओमीक्रॉन के बीए.2.10.1 और बीए.2.75 सबवेरिएंट्स का संयोजन है, इसे सबसे अधिक इम्यूनो-गोल करने वाला उपवंश कहा गया है. यह पहली बार पिछले साल अगस्त में सिंगापुर में पाया गया था और वहां कोविड मामलों में तेज वृद्धि के लिए जिम्मेदार था.

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