[ad_1]
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के बयान पर कांग्रेस के भीतर घमासान मच गया है. दरअसल जयराम रमेश ने गीता प्रेस को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के फैसले को उपहास करार देते हुए कहा कि यह सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.
ऐसे में जयराम रमेश द्वारा गीता प्रेस की तुलना सावरकर और नाथूराम गोडसे से करने पर कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता नाराज़ है. सूत्रों ने मुताबिक, उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से इसकी शिकायत की है.
‘राज्यसभा वालों के बयान से लोकसभा वाले नेताओं को उठानी पड़ती है दिक्कत’
सूत्रों ने बताया, ‘इन नेताओं ने अपनी नाराजगी जताते हुए खड़गे से कहा कि दिल्ली में बैठकर कुछ नेता जो वोट की राजनीति नहीं करते या जिन्हें जनता से वोट नहीं मांगना, वो ऐसे बयान दे देते हैं, जो पार्टी के लिए नुकसानदायक होते हैं.’ इनकी दलील है कि ‘जब लोकसभा के निर्वाचित नेता जनता के बीच जाते हैं तो उन्हें लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ती है.’
ये भी पढ़ें- गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने पर जयराम रमेश ने उठाए सवाल, गृह मंत्री अमित शाह बोले- अतुलनीय है योगदान
यहां ध्यान देने वाली एक और बात यह भी रही कि कांग्रेस के किसी भी नेता ने जयराम रमेश के बयान पर खुलकर समर्थन नहीं किया है. यहां तक कि मीडिया विभाग के उनके साथियों ने भी समर्थन नहीं किया और पार्टी ने समाचार चैनलों पर अपने आधिकारिक प्रवक्ता भेजने से भी गुरेज किया है.
‘रमेश का ट्वीट हिन्दू जनभावना के खिलाफ’
कांग्रेस के कई नेताओं का कहना है कि जब शिवसेना के कहने पर राहुल गांधी ने सावरकर पर हमला बंद कर दिया, तब जयराम रमेश का ये ट्वीट हिन्दू जनभावना के खिलाफ जा सकता है. माना जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ कल मुद्दे पर विचार करके पार्टी की राय तय करेंगे कि क्या जयराम रमेश का ट्वीट ही पार्टी लाइन है या अलग रुख अपनाना है.
ये भी पढ़ें- ‘…तो भरपाई करने में सदियां गुजर जाएं’, गीता प्रेस विवाद पर आचार्य प्रमोद ने कांग्रेसी नेताओं को लताड़ा
बता दें कि गीता प्रेस की शुरुआत वर्ष 1923 में हुई थी और वह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं. इनमें श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां भी शामिल हैं. वहीं गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है, जिसकी शुरुआत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को सम्मान देते हुए की थी. गीता प्रेस को यह पुरस्कार ‘अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान’ के लिए दिया जाएगा.
.
Tags: Congress, Gita Press Gorakhpur, Jairam ramesh
FIRST PUBLISHED : June 19, 2023, 21:31 IST
[ad_2]
Source link