क्या 2024 लोकसभा में राहुल गांधी को असली चैलेंजर के तौर पर उतारेगी कांग्रेस?

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नई दिल्ली. पिछले 48 घंटों में ये साफ दिख गया कि किस तरह कांग्रेस (Congress) ने उस समय को खो दिया जिसका वह पूरी तरह से फायदा उठा सकती थी. उसने भारतीय जनता पार्टी को इस पूरे मामले को जातिवादी रूप देने का मौका दे दिया. भाजपा के शीर्ष मंत्रियों ने राहुल गांधी पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय को गाली देने का आरोप लगाया. बीजेपी के इस नैरेटिव को खारिज करने के लिए कांग्रेस के पास उनका पार्टी अध्यक्ष तक था जो कि खुद दलित था.

लेकिन गुरुवार को सूरत कोर्ट का फैसला होने के बाद क्या-क्या हुआ, आइये इस पर एक नजर डालते हैं.

एक वरिष्ठ वकील कांग्रेस सांसद ने न्यूज18 को बताया, “पार्टी को उस दिन सतर्क हो जाना चाहिए था जिस दिन हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर रोक हटा दी थी. उन्हें तुरंत सेशन कोर्ट का रुख करना चाहिए था, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और टीम दिल्ली वापस आ गई. कांग्रेस एक बार फिर असमंजस में पड़ गई कि भाजपा पर हमला करने के लिए दोष साबित हो जाने को को मुख्य मुद्दा बनाया जाए या नहीं. जो कि उसने किया. लेकिन जल्द ही यह समझ आ गया कि ऐसे समय में जब जब वे राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे तब इसे अदालतों में ले जाने के तौर पर देखा जाएगा.”

यह भी अहसास हुआ कि सभी विपक्षी पार्टियां, यहां तक कि वे भी, जो अब तक अडानी मुद्दे पर कांग्रेस के साथ रही हैं, अदालत के इस मुद्दे का समर्थन नहीं करना चाहेंगी.

इसलिए जब शुक्रवार की सुबह विपक्षी दलों की बैठक हुई तो मुद्दा दोष साबित हो जाने का नहीं, बल्कि अडानी और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच का था. लेकिन कांग्रेस गांधी की सजा के मुद्दे को जाने नहीं दे सकती थी और इसलिए उसने संस्थानों के गलत इस्तेमाल और सूरत कोर्ट के मामले का परोक्ष रूप से जिक्र किया.

सुबह की बैठक
लेकिन असली गड़बड़ सोनिया गांधी के ऑफिस में सुबह की बैठक में हुई, जिसमें राहुल गांधी मौजूद थे. बैठक में, कुछ नेताओं ने सुझाव दिया कि कांग्रेस को अयोग्यता का पूर्व अनुमान लगाते हुए राष्ट्रपति को लिखना चाहिए. लेकिन दो वरिष्ठ सांसदों, एक जो कानूनी रूप से इच्छुक थे, ने कहा कि गांधी को अयोग्य घोषित किए जाने में में समय लगेगा क्योंकि उनके पास अपील करने के लिए 30 दिन हैं. स्पीकर के कार्यालय ने अयोग्यता के लिए एक अधिसूचना जारी करते ही यह अचानक से हो गया.

जल्दबाजी में बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की. यह लंबी कानूनी लड़ाई है. जिसमें कि न्यायपालिका पर हमला किए बिना विरोध की योजना है. पार्टी अब राहुल गांधी की बात से प्रेरणा ले रही है, जैसा कि उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि वह सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ने को तैयार हैं.

गांधी के केंद्र में आने के साथ 2024 के लिए कांग्रेस असली लड़ाकू और असली चुनौती के मुद्दे पर मैदान में उतरने वाली है. लेकिन क्या राहुल अकेले वो हाथ होंगे जो 2024 में कांग्रेस को जीत की ओर खींचेंगे?

Tags: 2024 Loksabha Election, BJP, Congress, Rahul gandhi

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