[ad_1]
New Parliament: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2023 यानी रविवार को नया संसद भवन परिसर राष्ट्र को समर्पित कर दिया. बेशक हमें बहुत लंबी अधीनता के बाद ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली. भले ही हमारे देश की बहुत सी व्यवस्थाएं ब्रिटेन से प्रभावित हों, लेकिन हमारी संसद में सांसदों के बैठने की व्यवस्था उनसे कतई प्रेरित नहीं है. ब्रिटेन में जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने बैठते हैं. वहीं, भारत की संसद में हॉर्स शू शेप यानी घोडे की नाल के आकार में सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है. ये कुछ हद तक सेमी सर्कल व्यवस्था की ही तरह है.
भारतीय सांसद संसद में बोलते समय एकदूसरे को सीधे जवाब देने के बजाय स्पीकार को संबोधित करते हैं और उनके जरिये ही जवाब देते हैं. ऐसे में हॉर्स शू शेप में की गई बैठने की व्यवस्था कारगर रहती है. दुनियाभर की संसदों में सांसदों को बैठाने के लिए 5 तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं. इनमें सेमी सर्कल यानी अर्द्ध गोलाकार व्यवस्था में संसद सदस्य एकदूसरे के बजाय चेयर को संबोधित करते हुए अपनी बात रखते हैं. ज्यादातर देशों में इसी तरह की व्यवस्था की गई है. अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस समेत काफी देशों की संसदों में सदस्यों को बैठाने के लिए यही व्यवस्था है.
ब्रिटेन समेत कई देशों की संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसद आमने-सामने बैठते हैं.
हॉर्स शू शेप और गोलाकर सिटिंग पैटर्न
भारत समेत कई देशों में संसद के अंदर सदस्यों के बैठने की व्यवस्था हॉर्स शू शेप में है. इस व्यवस्था में सत्ता पक्ष और विपक्ष के संसद सदस्य काफी हद तक एकदूसरे के सामने होते हैं. फिर भी वे सीधे एकदूसरे को जवाब देने के बजाय चेयर को संबोधित करते हैं. इससे स्वस्थ बहस की गुंजाइश बनी रहती है. ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों की संसदों में इसी तरह का सिटिंग अरेंजमेंट है. वहीं, लीबिया और उज्बेकिस्तान की संसद में सीटिंग पैटर्न गोलाकार रखा गया है. ये व्यवस्था बहुत कम देशों में इस्तेमाल की जाती है.
ये भी पढ़ें – Explainer: नई संसद में देश के अलग-अलग हिस्सों का क्या है योगदान, कहां से लाया गया है क्या?
संसद की सर्वोच्चता दिखाती व्यवस्था
ब्रिटेन की संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता आमने-सामने बैठते हैं. संसद में सांसदों के इस तरह से बैठने की व्यवस्था बताती है कि देश की संसद संविधान से ऊपर है. ब्रिटेन के अलावा नामीबिया और कनाडा समेत कुछ देशों की संसद में इसी तरह की व्यवस्था की गई है. अब आप सोचिए कि संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के सभी सदस्य अगर चेयर की तरफ मुंह करके बैठें तो कैसा लगेगा. ऐसी व्यवस्था करीब-करीब क्लास की तरह हो जाएगी. ज्यादातर कम्युनिस्ट, सिंगिल पार्टी और ऑटोक्रेटिक देशों की संसद में क्लासरूम पैटर्न में बैठने की व्यवस्था होती है. इसका सबसे सटीक उदाहरण रूस, नॉर्थ कोरिया और चीन हैं.
रूस और चरन समेत कुछ देशों की संसद में सांसद क्लारूम पैटर्न में बैठते हैं. (Image: Reuters)
ये भी पढ़ें – नए संसद भवन की सुरक्षा होगी कई गुना बेहतर, एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ कई लेयर में होंगे कड़े इंतजाम
दुनिया की सबसे बड़ी संसद कहां है?
दुनिया की सबसे बड़ी संसद उस देश में है, जिसकी आबादी दिल्ली से भी कम है. ये देश है रोमानिया और इसकी कुल आबादी दो करोड़ है. रोमानिया की संसद 1984 में बननी शुरू हुई थी, जिसे बनकर तैयार होने में 13 साल लगे थे. रोमानिया की संसद में सांसदों के बैठने की व्यवस्था अर्द्ध गोलाकार रखी गई है. इसे दुनिया की सबसे भारी इमारत माना जाता है. बताया जाता है कि ये इमारत अपने वजन के कारण 6 मिमी सालाना जमीन में धंस रही है. इस इमारत में कुल 20 मंजिलें हैं, जिनमें 12 जमीन के ऊपर और 8 जमीन के नीचे हैं. सबसे नीचे वाली मंजिल परमाणु हमले से सुरक्षित बंकर जैसी है.
.
Tags: Indian Parliament, New Parliament Building, Pm narendra modi
FIRST PUBLISHED : May 29, 2023, 21:40 IST
[ad_2]
Source link