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मशहूर शायर क़तील शिफ़ाई की नज्में भारत-पाकिस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में आज भी महफिलों की शान बनती हैं. क़तील की गज़ल में ऐसी कशिश है जो सुनने वालों को अपनी और चुम्बक की तरह खींचती हैं. पाकिस्तानी गज़लकार मुहम्मद औरंगज़ेब यानी क़तील शिफ़ाई की रचनाएं दिल की हूक हैं. भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर और मशहूर गज़ल गायक जगजीत सिंह ने क़तील की कई रचनाओं को अपने स्वर दिए हैं. लेकिन जब भी शिफ़ाई के गीत, गज़लों का जिक्र आता है तो ‘दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह’ की चर्चा सबसे पहले होती है.
जगजीत सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मृत्यु पर इस गज़ल को अपने स्वर दिए तो वहां बैठे तमाम लोगों की आंखें सजल हो उठीं. जब इस गज़ल को लता मंगेशकर ने गाया तो इसको संगीत खुद जगजीत सिंह साहब ने दिया था. छोटी यह गज़ल लम्बे समय तक लोगों के जहन में रहती है-
दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह
मैनें तुझसे चाँद सितारे कब माँगे
रोशन दिल बेदार नज़र दे या अल्लाह
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह
सूरज सी इक चीज़ तो हम सब देख चुके
सचमुच की अब कोई सहर दे या अल्लाह
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह
या धरती के जख़्मों पर मरहम रख दे
या मेरा दिल पत्थर कर दे या अल्लाह
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह
दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह।
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Tags: Hindi Literature, Hindi Writer, Literature
FIRST PUBLISHED : May 31, 2023, 22:22 IST
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