ओडिशा ट्रेन हादसा: रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव का इस्तीफा मांग रहा विपक्ष; लेकिन लालू, नीतीश और ममता बनर्जी का रिकॉर्ड भी नहीं ठीक

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नई दिल्‍ली. ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) को लेकर अब विपक्ष ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव (Ashwini Vaishnav) से इस्‍तीफे की मांग की है. इसके लिए तमाम तर्क और उदाहरण तक दिए जा रहे हैं. इधर, सरकार से जुड़े सूत्रों ने रेल मंत्री के दुर्घटनास्‍थल पर पहुंचने और राहत एवं बचाव कार्यों में जुट जाने वाले रचनात्‍मक दृष्टिकोण का हवाला दिया है. रेल मंत्री यहां राजनीतिक बयानबाजी में शामिल होने की बजाय ओडिशा पहुंचकर राहत कार्यों में अपना योगदान दे रहे हैं.

ऐसे में आइए पहले तथ्यों को देखें. इससे पहले भी विभिन्न रेल मंत्रियों ने अपने कार्यकाल के बड़े हादसे देखे हैं, जिनमें भारी जनहानि हुई है. उदाहरण के लिए जब नीतीश कुमार, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में दो कार्यकाल के लिए रेल मंत्री थे, तो मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 1,079 दुर्घटनाओं (टक्कर और पटरी से उतरना दोनों) के परिणामस्वरूप कुल 1,527 मौतें दर्ज की गईं थी. एक्सीडेंट रिकॉर्ड के मामले में पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव का नाम आता है.

नीतीश कुमार ने दुर्घटना के बाद दिया था इस्‍तीफा
डेटा से पता चलता है कि ममता बनर्जी (जिन्होंने वाजपेयी और मनमोहन सिंह दोनों के अधीन काम किया था) के कार्यकाल में 893 दुर्घटनाओं में 1,451 मौतें हुईं. लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल (मई 2004 से मई 2009 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार) में भी 601 दुर्घटनाओं में 1,150 मौतें हुईं. नीतीश कुमार का कार्यकाल अधिकतम रेल दुर्घटनाओं से प्रभावित था, जिसमें पटरी से उतरने की 1,000 घटनाएं और 79 टक्करें थीं. इसके बाद ममता के कार्यकाल में 839 पटरी से उतरे थे. वास्तव में, बिहार के मुख्यमंत्री ने अगस्त 1999 में गैसल ट्रेन दुर्घटना के लिए इस्तीफा भी दे दिया था, जिसमें 285 लोगों की जान चली गई थी.

दुर्घटनास्‍थल पर पहुंचे रेल मंत्री, बिना थके कर रहे हैं काम
रेल मंत्री के रूप में अश्विनी वैष्णव, इस समय बीते दो दशकों में सबसे खराब ट्रेन दुर्घटना के साथ अपनी सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं. सरकारी सूत्र इस बात का खास तौर पर उल्‍लेख कर रहे हैं कि वैष्‍णव ने राजनीतिक बयानबाजी में शामिल होने की बजाय ओडिशा का रुख किया और वे वहीं जमे हुए हैं. उन्‍होंने राहत और बचाव समेत अन्‍य कार्यों में अपनी भूमिका निभाई है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि बीते समय में हमने रेल मंत्रियों को केवल फोटो खिंचवाने तक सीमित भूमिका में ही देखा है. ममता बनर्जी जैसे लोगों ने तब राजनीति भी की थी. लेकिन वैष्णव मौके पर पहुंचे और अपने स्‍तर के काम में जुट गए.

मोदी सरकार ने बदल दिया तरीका, सब एक साथ मिलकर कर रहे काम
सरकारी सूत्रों ने बताया कि अब पहले की तुलना में बड़ा बदलाव आ चुका है. अब पीएम नरेंद्र मोदी के ‘संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण’ के निर्देश के रूप में सभी एजेंसियां एक साथ काम कर रही हैं. पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. अब रेलवे के साथ गृह मंत्रालय और नेशनल डिजास्‍टर रिपॉन्‍स फोर्स मिलकर काम कर रहे थे. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को भी चिकित्सा उपचार का समन्वय सुनिश्चित करने और मृत्यु दर को कम करने के लिए भेजा गया है.

केवल इस दशक में ही रेल दुर्घटनाएं हुईं हैं कम
दरअसल, अगर हम आधिकारिक आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले एक दशक (2012-13 से 2022-23 तक) में ही रेल दुर्घटनाओं में कमी आई है. बीते नौ मंत्रियों (यूपीए और एनडीए दोनों) के कार्यकाल के दौरान, भारतीय रेलवे ने 878 दुर्घटनाएं दर्ज कीं, जिनमें टक्कर, पटरी से उतरना, आग लगना आदि शामिल हैं. यह संख्या उनके दो कार्यकालों में ममता के व्यक्तिगत रिकॉर्ड के करीब है और कुमार की तुलना में कम है. इसकी तुलना में, 2002-03 से 2011-12 तक के दशक में रेलवे ने कुल 2,147 दुर्घटनाएं दर्ज कीं.

कवच प्रणाली को लेकर भी उठे सवाल
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि ममता और कांग्रेस नेताओं के नेतृत्व में विपक्ष ने इस विशेष खंड पर कवच (टक्कर रोधी) प्रणाली की अनुपस्थिति पर वैष्णव से सवाल किया है, लेकिन अब तथ्य बताते हैं कि यह प्रणाली दुर्घटना को टाल नहीं सकती थी. मौजूदा मामले में कोरोमंडल एक्सप्रेस और मालगाड़ी के बीच की दूरी महज 100 मीटर थी जिसमें पैसेंजर ट्रेन लूप लाइन में गलत तरीके से घुसने के बाद टकरा गई थी. अधिकारियों ने कहा कि कवच को सक्रिय करने के लिए कम से कम 600 मीटर की दूरी की जरूरत है और यह केवल मुख्य लाइन के लिए है. गौरतलब है कि वैष्णव बालासोर में डेरा डाले हुए हैं, एक ऐसा क्षेत्र जहां वे दो दशक पहले एक बार जिला कलेक्टर के रूप में तैनात थे. उन्हें क्षेत्र और उपलब्ध सुविधाओं की अच्छी जानकारी है. हालाँकि, दुर्घटना पर राजनीतिकरण जारी है और विपक्ष उनके लिए निशाना साध रहा है.

Tags: Ashwini vaishnav, Odisha Train Accident

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