एनालिसिस – बाइक टैक्‍सी बंद होने हजारों परिवारों पर पड़ा असर, कब आएगी नई पॉलिसी?

[ad_1]

नई दिल्‍ली. दिल्ली में बाइक टैक्सी (रैपिडो, ओला, उबर) पर बैन लगने के बाद इस व्यापार से जुड़े लोगों के सामने मुसीबतो का पहाड़ सा खड़ा हो गया है. राजधानी दिल्ली में बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग और परिवार हैं जिनकी रोजी रोटी बाइक टैक्सी के जरिए होने वाली कमाई से चल रहा था, मगर, अब सभी की कमाई मानो ठप सी हो गई है. बाइक टैक्सी घर और ऑफिस के बीच दौड़ लगाने वाले आम आदमी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं थी, क्योंकि एक तो इसके जरिए ट्रैफिक में फंसने की कम से कम गुंजाइश थी. साथ ही इसका किराया प्राइवेट कैब से बहुत कम और किफायती था.

देश के अलग-अलग राज्यों और शहरों में इसकी डिमांड दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. इसी बीच अचानक बाइक टैक्सी को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने बाइक टैक्सी को मोटर व्हीकल एक्ट के हिसाब से अवैध बता दिया. इसके बाद हाल ही में दिल्ली में भी दिल्ली सरकार ने बाइक टैक्सी को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का आदेश जारी कर दिया. बात सिर्फ दिल्ली की करें तो यहां पचास हजार से ज्यादा बाइक टैक्सी राइडर हैं. इन सभी का जीवन बाइक टैक्सी के जरिए होने वाली कमाई से चल रहा था. मगर, अब सभी की कमाई ठप हो गई है. लेकिन सवाल यह है कि राज्य सरकार द्वारा समय रहते अगर पॉलिसी बना ली जाती तो शायद इनकी जिंदगी बेपटरी न होती..

कोई अधिसूचना किसी एक्ट पर कैसे हावी हो सकती है?
दिल्ली में अब बाइक टैक्सी नहीं चलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें नीति बनने तक बाइक टैक्सी एग्रीगेटर्स रैपिडो व उबर को लाइसेंस के बिना बाइक टैक्सी सेवा जारी रखने की अनुमति दी गई थी.दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए पॉलिसी आने तक कैब एग्रीगेटर कंपनियों को बाइक सर्विस की इजाजत दे दी थी. दिल्ली सरकार ने फरवरी 2023 में ओला-उबर और रैपिडो जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों की बाइक सर्विस पर रोक लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बिना वैध लाइसेंस के बाइक टैक्सी के मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली सरकार से सवाल पूछा है. कोर्ट ने पूछा कि कोई अधिसूचना किसी एक्ट पर कैसे हावी हो सकती है? इसपर बाइक टैक्सी सेवा उपलब्ध कराने वाली कम्पनी उबर के वकील नीरज किशन कौल ने दलील दी कि हरेक राज्य सरकार को इस बाबत नीति बनाने की शक्ति का प्रावधान संविधान में है लेकिन दिल्ली सरकार ने इस बाबत कोई गाइडलाइन या नीति बनाई ही नहीं है.

हजारों लोगों को मिलता है रोजगार…
दरअसल मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 66 में साफ लिखा है कि बिना वैध लाइसेंस के किसी भी व्यवसायिक वाहन के मालिक को वाहन नहीं दिया जा सकता….कौल ने दलील दी कि बिना नीति के अचानक बाइक टैक्सी बंद कर देने से दिल्ली एनसीआर में 35 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो जाएंगे. कोर्ट ने कहा कि हम फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश पर अमल को स्टे कर देंगे. कौल ने कहा कि 31 जुलाई तक छूट दी जाए क्योंकि वहीं बाइक इनकी आजीविका का एकमात्र साधन है. कौल ने कहा कि हमारा पूरा धंधा और उससे जुड़े लोग प्रभावित हो रहे हैं. संविधान के आर्टिकल 19 के तहत हमारे भी तो बुनियादी अधिकार हैं…म

31 जुलाई तक लाइसेंसिंग नीति तैयार होगी
जब तक कोई स्कीम नहीं है इसी व्यवस्था को चलने दिया जाए. जब स्कीम आएगी तो हम उसमें आवेदन कर लेंगे. महाराष्ट्र में भी इसी शर्त पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नीति बनाए जाने तक यही व्यवस्था दी है. कोर्ट ने पूछा कि क्या कोई वाहन बिना परमिट के रोड पर चल सकता है? कोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली सरकार ने आश्वासन दिया है कि बाइक एग्रीगेटर्स के संचालन को विनियमित करने के लिए 31 जुलाई तक गाइडलाइन और लाइसेंसिंग नीति तैयार कर ली जाएगी.

निजी वाहनों का कमर्शियल इस्तेमाल गैरकानूनी
हजारों भारतीय हर दिन ट्रैवलिंग के लिए सस्ती मोटरबाइक टैक्सियों का उपयोग करते हैं. इससे सैकड़ों और हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है, इनमें से कई लोग यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए अपनी निजी मोटरबाइक का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, निजी वाहनों का उपयोग भारत में कमर्शियल के तौर पर नहीं किया जा सकता है. भारत के मोटरबाइक टैक्सी बाजार का मूल्य $50.5mn (लगभग- 4,16,37,50,250 रुपये) था, और इसके 2030 तक लगभग $1.5bn तक पहुंचने की उम्मीद थी. कोर्ट के इस फैसले से इसकी मार्केट वैल्यू प्रभावित होगी.

अब इस मामले में जानिए और क्या है ऑप्शन
दिल्ली एनसीआर में बाइक टैक्सी का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. बाइक टैक्सी ऑटो की तुलना में जाम में भी कम फंसती है. ऐसे में लोग इस पर ट्रैवल करना पसंद करते हैं. दिल्ली एनसीआर के बीच ऑटो सर्विस भी चलती है. ऐसे में आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा दिल्ली में डीटीसी बसों और मेट्रो का संचालन भी लगभग हर रूट पर है. हालांकि बाइक टैक्सी में खर्चा कम आता है और समय बचता है.

आपको बताते है कि कैसे काम करती है ये सर्विस
दरअसल एप्प बेस्ड बाइक टैक्सी में रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद जब आप अपनी बाइक से जिस रूट पर जा रहे हैं, वह आपको बताना पड़ता है. इसके बाद रूट पर आपके साथ जाने के लिए आपको रिक्वेस्ट भेजेगा…दोनों के रूट एक जैसे होने पर आप उसे एप की तरफ से तय किराये पर उसके स्टॉप तक छोड़ सकते हैं…

बाइक टैक्सी से क्या है दिक्कत?
दिल्ली सरकार का कहना है कि उसकी दिल्ली मोटर व्हीकल एग्रीगेटर स्कीम 2023 को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. उसका तर्क यह है कि बिना जरूरी शर्तें पूरी किए बाइक टैक्सी चलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इन जरूरी शर्तों में सभी बाइक का पुलिस वेरिफिकेशन, उसमें GPS डिवाइस, पैनिक बटन और सुरक्षा से जुड़े अन्य इंतजाम शामिल हों.

 प्राइवेट नंबर की बाइक का कमर्शियल इस्तेमाल
दूसरी समस्या यह है कि ज्यादातर बाइक राइडर प्राइवेट नंबर की बाइक का इस्तेमाल करते हैं. दिल्ली सरकार का कहना है कि यह पूरी तरह से कमर्शियल काम है और प्राइवेट नंबर की बाइक का कमर्शियल इस्तेमाल करना मोटर व्हीकल ऐक्ट, 1988 का उल्लंघन है. दिल्ली सरकार ने इसी कानून की धारा 93 का हवाला देते हुए नोटिस जारी किया था कि नियमों का उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा….

क्या कहते है कानूनी जानकार ?
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विराग गुप्ता बताते हैं कि वाहनों का विषय समवर्ती सूची के तहत आता है. इस सूची में शामिल विषयों पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं. केन्द्र सरकार के बनाए कानून और नियमों को राज्यों की सहमति से ही लागू किया जा सकता है. ऐसे में यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वो मोटर व्हीकल को लेकर केंद्र सरकार के नियमों और सुझावों का मानते हैं या नहीं. आजादी के पहले अंग्रेजों ने मोटर व्हीकल एक्ट 1939 बनाया था. 1988 में मोटर व्हीकल एक्ट पारित किया गया. 2019 में इस एक्ट में कई बड़े संशोधन किए गए.

राज्‍यों ने कानून में बदलाव नहीं किए
इस केंद्रीय कानून के तहत केन्द्र सरकार ने कई नियम भी बनाए हैं. लेकिन राज्यों ने इन नियमों के हिसाब से अपने कानून में बदलाव नहीं किए हैं, जिसकी वजह से प्रॉब्लम हो रही है. दरअसल, वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर टैक्स से राज्यों को बड़ी आमदनी होती है. इसलिए अधिकांश राज्यों ने अपने स्तर पर मोटर व्हीकल कानून और उससे जुड़े नियम बनाए हैं.

कैसे फर्क पड़ता है ….
फर्ज कीजिए कि आपको अभी अपने शहर में 7-8 किलोमीटर दूर किसी जगह जाना हो. कैब का किराया 200 से 250 रुपए तक होगा…लेकिन उसी दूरी को कम खर्च में जल्दी तय करना हो तो? जवाब होगा- बाइक टैक्सी!

कम किराया और बेहतर मोबिलिटी
कैब से आधे से भी कम किराया…व्यस्त ट्रैफिक में भी बेहतर मोबिलिटी…ये दो ऐसी खूबियां हैं जिन्होंने बाइक टैक्सी को भारत में तेजी से पॉपुलर किया है. लेकिन लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही बाइक टैक्सी के ऑपरेशन पर कन्फ्यूजन भी तेजी से बढ़ा है.

दिल्‍ली में बाइक टैक्सी के संचालन पर रोक, पर नोएडा और गुरुग्राम में नहीं
दिल्ली ने हाल ही में बाइक टैक्सी के संचालन पर रोक लगा दी है. मगर दिल्ली से बिल्कुल सटे और नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में शामिल गुरुग्राम या नोएडा में बाइक टैक्सी चलाने की परमिशन है. दिल्ली सरकार का तर्क है कि टैक्सी के तौर पर सिर्फ कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन वाले व्हीकल्स का ही इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि टैक्सी के तौर पर चल रही बाइक्स कॉमर्शियल नहीं प्राइवेट रजिस्ट्रेशन वाले हैं. ये तर्क देने वाला दिल्ली अकेला राज्य नहीं है. इससे पहले तमिलनाडु, महाराष्ट्र और चंडीगढ़ भी इसी तर्क पर बाइक टैक्सी बैन कर चुके हैं. लेकिन यदि ये तर्क सही है तो क्या बाकी राज्यों में चल रही बाइक टैक्सियां अवैध हैं?

ई-कॉमर्स डिलीवरी में भी सबसे ज्यादा बाइक्स का ही इस्तेमाल
यही नहीं, बाइक टैक्सी के अलावा फूड से लेकर ई-कॉमर्स डिलीवरी में भी सबसे ज्यादा बाइक्स का ही इस्तेमाल हो रहा है. नियमत: ये माल ढुलाई की कैटेगरी में आता है और कॉमर्शियल व्हीकल से ही किया जा सकता है. देश भर में 10 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड बाइक टैक्सी ड्राइवर्स हैं. फूड और ई-कॉमर्स डिलीवरी में लगी बाइक्स को शामिल करें तो ये संख्या 1 करोड़ से भी ज्यादा हो सकती है. अगर दिल्ली सरकार का तर्क सही हो तो ये सभी बाइक ड्राइवर्स कानून तोड़ रहे हैं. लेकिन सच्चाई ये नहीं है. केंद्र सरकार ने टू-व्हीलर्स के कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी है, लेकिन दिल्ली समेत कई राज्य इस नियम को मानते ही नहीं.

लोगों के लिए बड़ी सुविधा बन चुकी बाइक सर्विस की इंडस्ट्री का आकार भी हर साल तेजी से बढ़ रहा है. जानिए, कैसे सिर्फ केंद्र और राज्यों के बीच की खींचतान में इस इंडस्ट्री के भविष्य पर सवाल उठा रही है…

पहले देखिए कितना बड़ा है भारत में बाइक टैक्सी का बाजार
रैपिडो सिर्फ बाइक टैक्सी चलाता है…उसका दावा 10 लाख ड्राइवर्स जुड़े हैं …बाइक टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर रैपिडो देश के 100 से ज्यादा शहरों में ऑपरेट करती है. रैपिडो दावा करता है कि उसके साथ 10 लाख ड्राइवर्स और 1 करोड़ से ज्यादा कस्टमर्स जुड़े हुए हैं. इसी तरह 2016 में 3 शहरों से शुरुआत करने वाली ओला बाइक आज देश के 200 से ज्यादा शहरों और कस्बों में अपनी सर्विस दे रही है. उबर मोटो भी 30 से ज्यादा शहरों में मौजूद है और लगातार अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है.
20 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दे सकता है बाइक टैक्सी का बाजार
2015 के बाद से देश में बाइक टैक्सी सर्विस देने वाले स्टार्टअप्स की शुरुआत हुई. 2017 तक 40 कंपनियां इस फील्ड में उतर चुकी थीं. हालांकि बड़े प्लेयर्स ओला बाइक, उबर मोटो और रैपिडो ही रहे. ओला मोबिलिटी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट का दावा है कि बाइक टैक्सी का मार्केट 33 हजार करोड़ से ज्यादा का रेवेन्यू पैदा कर सकता है और 20 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दे सकता है. इतना बड़ा बाजार है मगर इसको लेकर नियम अब तक स्पष्ट नहीं

इन राज्यों में लग चुका टू-व्हीलर टैक्सी पर बैन

मगर ज्यादा राज्य ऐसे जहां बाइक टैक्सी के लिए रूल्स बन चुके हैं.

  • गोवा में टू-व्हीलर टैक्सी आम है. देश का पहला राज्य है जहां टू-व्हीलर को बतौर टैक्सी चलाने की अनुमति दी गई.
  • 1981 में गोवा बाइक टैक्सी को परमिट देने वाला पहला राज्य बना था. तब वहां राज्य भर में 64 मोटर साइकिल स्टैंड बनाए गए थे.
  • 2015 में हरियाणा ने भी बाइक टैक्सी को पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी. गुरुग्राम में बड़ी संख्या में लोग बाइक टैक्सी का उपयोग करते हैं.
  • 2016 में मिजोरम ने भी बाइक टैक्सी के संचालन की अनुमति दे दी थी. शर्त ये थी कि बाइक दो साल से कम पुरानी होनी चाहिए और कम से कम 125 सीसी की होनी चाहिए.
  • 2016 में पश्चिम बंगाल में भी बाइक टैक्सी को अनुमति दे दी गई थी. वहां 1000 रुपए फीस देकर प्राइवेट नंबर वाली बाइक का कॉमर्शियल यूज किया जा सकता है.
  • 2017 में राजस्थान ने बाइक टैक्सी पॉलिसी जारी की जिसके तहत बाइक के कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन की अनुमति दे दी थी.
  • 2017 में ही उत्तर प्रदेश में रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने 4 जिलों- गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़ और बुलंदशहर में बाइक टैक्सी के संचालन की अनुमति दी थी. सिर्फ नोए़डा में ही 2,446 बाइक टैक्सी रजिस्टर्ड हैं. नोएडा में बाइक के कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन के लिए 300 रुपए और फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए 1 हजार रुपए देने पड़ते हैं. साथ ही हर 3 महीने पर 550 रुपए फीस के रूप में देने होते हैं.
  • 2020 में मेघालय में बाइक टैक्सी के संचालन के नियम जारी किए गए थे. इसके लिए टैक्सी सर्विस देने वाले ऐप्स को राज्य के ट्रांसपोर्ट विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी कर दिया गया था. इसके लिए वाहनों की संख्या के हिसाब से लाइसेंस फीस भी तय की गई थी.
  • 2021 में कर्नाटक ने बाइक टैक्सी के लिए नियम जारी किए गए. इसके तहत राज्य में सिर्फ इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर ही बाइक टैक्सी के रूप में काम कर सकेंगे. इन्हें यात्रियों को 10 किमी तक ले जाने की ही अनुमति होगी.

कई देशों में बाइक टैक्सी चलाने की अनुमति
दुनियाभर के कई देशों में बाइक टैक्सी चलाने की अनुमति है. मैक्सिको, कोलंबिया और ब्राजील जैसे लैटिन अमेरिकन देशों में तो बाइक टैक्सी काफी लोकप्रिय है. ब्राजील के ज्यादातर शहरो में ये सर्विस चल रही है. कंबोडिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे साउथ-ईस्ट एशियन देशों में भी बाइक टैक्सी काफी चलती हैं. इनके फेमस होने की वजह इनका सस्ता होना और कम समय लेना है. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडोनेशिया में ‘गोजेक’ जैसे एग्रीगेटर्स की एंट्री ने बाइक टैक्सी के सेक्टर को कानूनी शक्ल देने में मदद की है. थाईलैंड में बाइक टैक्सी मार्केट सालों से है, वहां 2005 में ही इसके लिए रेगुलेशंस बन गए थे.

बाइक टैक्सी का मार्केट साइज 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा
स्काई क्वेस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में दुनियाभर में बाइक टैक्सी का मार्केट साइज 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था. उम्मीद जताई जा रही है कि 2028 तक ये बढ़कर 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपए का हो जाएगा. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि भारत के लिए बाइक टैक्सी के फील्ड में बहुत संभावनाएं हैं. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि भारत के राज्य बाइक टैक्सी के लिए पर्याप्त कायदे-कानून बनाएं और उन्हें लागू करें. इससे बड़ी संख्या में ड्राइवर्स को रोजगार मिलेगा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी बेहतर होगी.

Tags: Bike news, Delhi Government, Supreme Court

[ad_2]

Source link