इंदौर फिर इतिहास रचने की तैयारी में : कॉमनवेल्थ गेम्स में तैराक अद्वैत पागे का फायनल मुकाबला आज

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इंदौर. इंदौर एक बार फिर इतिहास रचने की तैयारी में है. इस बार मौका खेल का है. वो भी कॉमनवेल्थ गेम्स. इंदौर के युवा तैराक अद्वैत पागे तैराकी प्रतियोगिता के फायनल में पहुंच गए हैं. आज फायनल मुकाबला है. इंदौर सहित पूरे देश की निगाहें उन पर टिकी हुई हैं. उनकी सफलता के लिए पूरा शहर दुआ कर रहा है.

इंदौर के युवा तैराक अद्वैत पागे कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल से सिर्फ एक कदम दूर हैं. आज रात  साढे़ 12 बजे के बाद उनकी प्रतिस्पर्धा है. हालांकि 1500 मीटर तैराकी स्पर्धा के फाइनल में उन्होंने प्रवेश कर लिया है. इंग्लैंड के बर्मिघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में 1500 मीटर तैराकी स्पर्धा में वे सातवें स्थान पर रहे. अद्वैत के लिए पूरा इंदौर प्रार्थना कर रहा है.

पूरा है विश्वास
उनके पिता आशुतोष पागे का कहना है उन्हें विश्वास है कि अद्वैत अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा और इंडिया का नाम रौशन करेगा. उन्होंने बताया अद्वैत अभी 20 साल का है. उसका अभी बहुत लम्बा करियर है. उसने 12वीं तक इंदौर में ट्रेनिंग ली और फिलहाल अमेरिका में कोच एंथोनी नेस्टी के अंडर में चार साल से ट्रेनिंग कर रहा है. शुरुआत में 35 लाख रुपए सालाना खर्च हो रहे थे. अब स्कॉलरशिप मिलने लगी है, जिससे राहत मिल गई है.

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अद्वैत की तपस्या
अद्वैत की मां नंदा पागे का कहना है उसकी मेहनत जरूर रंग लाएगी. उसने स्विमिंग को तपस्या की तरह लिया है. अब वक्त आ गया है कि उसकी तपस्या का फल जरूर मिलेगा. अद्वैत के दादाजी भी बेसब्री से फायनल मुकाबले का इंतजार कर रहे हैं. वो कहते हैं कि उनके परिवार के सभी लोग अच्छे तैराक हैं. अद्वैत का अनुशासन एक मॉडल है. इतनी प्रतिस्पर्धाएं जीतने के बावजूद उसे किसी तरह का अहंकार नहीं है. उसने अपनी छवि अत्यंत लोकप्रिय बनाई है. अद्वैत की दादी भी प्रार्थना कर रही हैं. उनका कहना है कि अद्वैत ने जो मेहनत की है वो स्तुति करने लायक है. उसकी मेहनत का फल भगवान देगा और उसे कामयाबी भी मिलेगी.

अद्वैत का ऊंचा लक्ष्य
अद्वैत के पिता बताते हैं कि उनके बेटे के टारगेट बहुत ऊंचे हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद अद्वैत को 2024 में पेरिस ओलंपिक में जाना है और वहां भी अच्छा प्रदर्शन करना है. वो स्वीमिंग के खेल को नई ऊंचाइंयों पर ले जाने वाला है. उसका पूरा फोकस कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक पर है. हालांकि अभी तक वो 100 से ज्यादा मेडल जीत चुका है. लेकिन कॉमनवेल्थ में पदक जीतना उसके सारे पदकों के बराबर होगा.

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