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Day Sleeping Side Effects: अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि रात में कितना भी जाग लें, सुबह जल्दी नहीं उठा जाता. हो सकता है आपको भी लेट नाइट में एक-दो बजे तक जागने की आदत हो और सुबह 9-10 बजे तक आराम से सोते रहते हों. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो ऑफिस, बिजनेस, काम या मौज-मस्ती के लिए रातभर जागते रहते हैं और दिन में अपनी नींद पूरी करते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो दिन में सोने से आपकी रात की थकान जरूर मिट जाती होगी लेकिन अगर इसके नुकसान जान लेंगे तो सच में आपकी नींद उड़ जाएगी. दिन में 10-20 मिनट की झपकी लेना जरूर अच्छा है लेकिन इससे ज्यादा सोना या दिन में रात की भरपाई करना आपको कई बड़ी बीमारियों की ओर धकेल सकता है.
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एम एस कंवर बताते हैं कि उनके पास बहुत से ऐसे मरीज आते हैं जो नींद को लेकर परेशान रहते हैं. जिनके जीवन में पैसा, घर, परिवार सब कुछ ठीक है लेकिन एक अच्छी शांति भरी नींद नहीं है. ऐसे मरीजों को बार-बार यही समझाया जाता है कि चाहे यूके, यूएस हो या भारत, कहीं भी रहिए लेकिन रात में सोइए, दिन में नहीं.
डॉ. कंवर कहते हैं कि जो लोग दिन में सोते हैं, उनको सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि उनकी नींद धीरे-धीरे कम होती चली जाती है. एक समय बाद रात के समय उनकी नींद उड़ जाती है. उदाहरण के लिए.. आपने देखा होगा कि गांव में जब आप होते हैं तो अधिकतम 8-9 बजे तक बिस्तर में लेट जाते हैं, सभी लाइटें बंद होती हैं और 10 बजे तक सो जाते हैं लेकिन जैसे ही दिल्ली, मुंबई जैसे किसी मेट्रो शहर में पहुंचते हैं तो आप 12-1 बजे से पहले नहीं सोते, आपकी नींद एकदम जैसे उड़ जाती है और आपको धीरे-धीरे इसी समय की आदत हो जाती है.
आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर)
डॉ. कंवर कहते हैं कि साइंस इस बात की पुष्टि करती है कि शाम के बाद अंधेरा होते ही शरीर में मेलेटोनिन नाम का हार्मोन बनता है. यह हार्मोन हमारे नींद के चक्र को नियंत्रित करता है और हमें नींद की ओर धकेलता है. रात के अंधेरे में जब यह तेजी से बनता है तो तेज नींद आने लगती है. इसीलिए रात में सोने का मन करता है लेकिन जो लोग नींद को टालते रहते हैं और रात में जागते हैं, उनमें इस हार्मोन के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और इससे नींद उड़ने लगती है. ऐसे में अगर कोई दिन के उजाले में चाहे खूब अंधेरा करके भी सो रहा है तो यह हार्मोन उसके शरीर में रात वाली गति से नहीं बन पाता है.
मेलाटोनिन के अलावा लाइट्स और खासतौर पर ब्लू लाइट इफैक्ट भी नींद को प्रभावित करता है. रातभर फोन, टीवी, लैपटॉप, गैजेट या अन्य किसी प्रकार की ब्लू लाइट में ज्यादा रहने के बाद व्यक्ति दिन में भी उजाले में रहता है तो यह उसके शरीर में नींद के चक्र को गड़बड़ा देता है. ऐसे में दिन में सोने पर भी शरीर और ब्रेन को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है और मांसपेशी व कोशिकाओं की मरम्मत अच्छे से नहीं होती है.
. दिन में सोने से अनिद्रा या नींद न आना की बीमारी शुरू हो सकती है. धीरे-धीरे यह इतनी बढ़ सकती है कि आपको अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ सकते हैं, आर्टिफिशियल तरीके से मेलाटोनिन बनाने की दवाएं खानी पड़ सकती हैं.
. डिप्रेशन, एंग्जाइटी, कन्फ्यूजन, याददाश्त कमजोर होना, कुछ भी समझने में कठिनाई, तनाव ये बीमारियां होना आम है.
. चिड़चिड़ाहट और व्यवहार में बदलाव होना संभव है.
. शरीर का थके रहना, शिथिल पड़ जाना, आलस और उत्साह का अभाव रह सकता है.
. ऑफिस हो या घर आप कहीं भी ठीक से काम कर पाने में असमर्थ महसूस करेंगे.
. लंबे समय तक दिन में सोना और रात में जागने से ब्लड प्रेशर, हार्ट संबंधी बीमारियां और डायबिटीज का खतरा हो सकता है.
. आंखों में बीमारियां हो सकती हैं, नजर कमजोर हो सकती है.
डॉ. कंवर कहते हैं कि लोगों को ये बात ध्यान रखनी है कि रात सोने के लिए है न कि जागने के लिए. जागने के लिए दिन है. आप दिन में चाहे 8 नहीं 14 घंटे काम कीजिए लेकिन रात के 10 बजते ही अपने घर की लाइटों को बंद कर दें और सोने की कोशिश करें. रात में सोने से आपका शरीर दिन में की गई मेहनत की भरपाई खुद कर लेगा. सुबह जल्दी उठने की कोशिश करें और नियमित व्यायाम करें लेकिन अगर आप दिन में नींद लेते हैं और रात को काम करते हैं तो शरीर आपका साथ 100 फीसदी नहीं देगा.
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Tags: Better sleep
FIRST PUBLISHED : March 23, 2023, 14:31 IST
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