‘अदालतें होंगी पेपरलेस..लेकिन लाइव टेलीकॉस्ट का प्रतिकूल पहलू भी है’, AI पर सीजेआई चंद्रचूड़ का बड़ा संदेश

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कटक (ओडिशा). प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण का प्रतिकूल पहलू भी है और न्यायाधीशों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है, क्योंकि सोशल मीडिया के युग में उनका हर शब्द सार्वजनिक होता है. ओडिशा न्यायिक अकादमी में डिजिटाइजेशन, ‘पेपरलेस कोर्ट’ और ई-पहल पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि देश भर की अदालतें जल्द ही ‘पेपरलेस’ हो सकती हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘हम सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की कार्यवाही के विवरण को तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर रहे हैं. वकीलों को किसी भी त्रुटि को दूर करने के लिए रिकॉर्ड की प्रतिलिपि प्रदान की जाती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एआई संभावनाओं से भरा है. आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि कोई न्यायाधीश किसी वैधानिक अपील में 15,000 पृष्ठों के रिकॉर्ड को खंगालेगा? एआई आपके लिए पूरा रिकॉर्ड तैयार कर सकता है.’’ उन्होंने कहा कि दुनियाभर में कई अदालतें एआई की मदद ले रही हैं.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कुछ चुनौतियां भी हैं: चंद्रचूड़
हालांकि, प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि एआई का एक दूसरा पहलू भी है. उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हमें यह बताने में बहुत मुश्किल होगी कि एक आपराधिक मामले में दोषसिद्धि के बाद क्या सजा दी जाए.’’

पटना हाईकोर्ट के जज ने आईएएस से क्या पूछा?
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यूट्यूब पर पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश के क्लिप हैं जो एक आईएएस अधिकारी से पूछते हैं कि उन्होंने उचित कपड़े क्यों नहीं पहने थे, या गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने एक वकील से पूछा कि वह अपने मामले के लिए तैयार क्यों नहीं थीं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यूट्यूब पर कई हास्यास्पद चीजें दिखती हैं जिन पर नियंत्रण की जरूरत है, क्योंकि यह गंभीर चीज है और अदालत में जो होता है वह बेहद गंभीर है.’’

न्यायाधीशों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सीधे प्रसारण का एक दूसरा पहलू भी है. उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है क्योंकि सोशल मीडिया के युग में अदालत में उनके द्वारा कहे गए प्रत्येक शब्द सार्वजनिक दायरे में हैं. उन्होंने कहा, ‘‘जब हम संविधान पीठ की टिप्पणियों का सीधा प्रसारण करते हैं तो हमें इसका एहसास होता है.’’ उन्होंने कहा कि कई बार नागरिकों को यह एहसास नहीं होता है कि सुनवाई के दौरान जज जो कहते हैं वह बातचीत शुरू करने के लिए होता है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि नई तकनीक का उद्देश्य न्याय प्रणाली को लोगों से दूर रखना नहीं, बल्कि देश के आम नागरिकों तक पहुंचना है.

डिजिटलीकरण प्रक्रिया 2023-27 के लिए लागत 7,210 करोड़
उन्होंने कहा, ‘‘हम जिस डिजिटल ढांचे को तैयार का इरादा रखते हैं, वह सबसे पहले पेपरलेस कोर्ट है. दूसरा, वर्चुअल कोर्ट है. दिल्ली वर्चुअल कोर्ट में खासकर ट्रैफिक चालान के क्षेत्र में अग्रणी है.’’ उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण प्रक्रिया के तीसरे चरण, 2023-27 के लिए कुल लागत 7,210 करोड़ रुपये है.

Tags: Artificial Intelligence, Justice DY Chandrachud, New Delhi news, Supreme Court

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