Success Story: हिन्‍दी टीचर का बेटा शिकागो में बना प्रोफेसर, एक कमरे में गुजारा बचपन, देश-दुनिया में पढ़ाते हैं मैनेजमेंट

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Success Story: बचपन में मां बाप को जिस बच्‍चे के ठीक से न चल पाने का डर था, वह बच्‍चा बड़ा होकर न केवल अमेरिका और शिकागो तक गया, बल्‍कि वहां की एक बड़ी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गया. आज वह देश दुनिया में न केवल भारत का नाम रोशन कर रहा है, बल्कि अपने जैसे तमाम भारतीय युवाओं को विदेश में पढ़ने और पढ़ाने में मदद कर रहा है. ये कहानी है प्रयागराज के निवासी अरुप वर्मा की. अरुप के माता पिता मूल रूप से थे प्रयागराज के, लेकिन पिताजी को कोलकाता के एक प्राइवेट स्‍कूल में हिंदी टीचर की नौकरी मिली, तो पूरा परिवार कोलकाता का निवासी हो गया.

मां को डर था ठीक से चल भी पाएगा या नहीं
अरुप बताते हैं कि जब उनका जन्‍म हुआ, तो उनकी मां को डर था कि यह ठीक से चल भी पाएंगे या नहीं, क्‍योंकि बचपन में उनको चलने में काफी समय लगा. अरुप वर्मा कहते हैं कि उनका बचपन काफी संघर्षों में बीता. उनका पूरा परिवार एक कमरे में रहता था, जिसमें शौचालय की सुविधा नहीं थी और कॉमन बाथरूम को पड़ोसियों के साथ शेयर करना पड़ता था. अरुप कहते हैं कि उनकी मां चाहती थीं कि वह पढ़ें, लिहाजा वह बचपन से ही उनके बड़े भाई के साथ साइकिल पर बैठाकर स्‍कूल भेजने लगीं.

काम के साथ की पढ़ाई
जिस स्‍कूल में अरुप के पिताजी पढ़ाते थे, उसी स्‍कूल में उन्‍होंने हायर सेकंडरी तक की पढ़ाई की. अरुप वर्मा कहते हैं कि बाद में उनके पिताजी की दो स्‍कूल बसें भी चलने लगी, तब वह उसमें भी हाथ बंटाने लगे. इसके लिए उन्‍हें सुबह 5 बजे उठकर जाना होता था और 9 बजे तक लौटकर स्‍कूल के लिए निकलना होता था. स्‍कूल से लौटते समय भी बस में पूरे रूट पर काम करना होता था. इस तरह बचपन से ही उन्‍हें काम की इज्‍जत करना सीखाई गई.

कहां से की आगे की पढ़ाई
अरुप वर्मा ने कोलकाता से ही वर्ष 1982 में बीएससी ऑनर्स की डिग्री ली. इसके बाद वह आगे मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए जेवियर स्‍कूल ऑफ मैनेजमेंट जमशेदपुर (Xavier School of Management Jamshedpur) झारखंड चले गए. 1984 में कोर्स पूरा होने के बाद अरुप को रैनबैक्‍सी कंपनी में दिल्‍ली में नौकरी मिल गई. 1985 में वह मध्‍य प्रदेश के देवास में भी कंपनी के प्‍लांट पर रहे.

और ऐसे पहुंचे अमेरिका
अरुप वर्मा बताते हैं कि रैनबैक्‍सी के बाद उन्‍होंने कंप्‍यूटर्स लिमिटेड में 1987 से 1990 तक काम किया, लेकिन उनका इरादा यहीं रूकने का नहीं था. विदेश जाकर आगे की पढ़ाई करना था. इसी दौरान उन्‍होंने अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी (Rutgers University) में पीएचडी में दाखिला ले लिया. यहां से पीएचडी करने के बाद वर्ष 1996 में वह लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो (Loyola University Chicago) में असिस्‍टेंट प्रोफेसर हो गए. अरुप कहते हैं 28 साल की नौकरी के दौरान वह डायरेक्‍टर और डिपार्टमेंट हेड भी रहे. अब तक वह तकरीबन 80 देशों में मैनेजमेंट भी पढ़ा चुके हैं. वह भारत के आईआईएम लखनऊ, एक्सएलआरआई जमशेदपुर, गोवा इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट और अन्य कई ऐसे संस्थानों में भी लेक्‍चर दे चुके हैं. साथ ही भारतीय बच्‍चों को विदेश में पढ़ाई कैसे करें और उन्‍हें स्‍कॉलरशिप कैसे मिले, इसके लिए उनकी मदद भी करते रहते हैं. इतना ही नहीं अरुप को भारत समेत दुनिया के कई देश भी मैनेजमेंट की क्‍लास के लिए बुलाते रहते हैं लेकिन अरुप कहते हैं उनका मन भारतीय बच्‍चों को प्रोत्‍साहित करने में ज्‍यादा लगता है.

Tags: Allahabad news, Calcutta University, Success Story

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