ICC Rules: वनडे और टी20 का पावर प्‍ले, कब-कब हुए बदलाव और क्‍यों बदला गया बैटिंग पावर प्‍ले रूल

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नई दिल्‍ली . Powerplay rules in cricket : क्रिकेट के खेल की शुरुआत में टेस्‍ट मैच ही खेले जाते थे. एक से अधिक दिन तक चलने के कारण टेस्‍ट मैचों के प्रति फैंस का आकर्षण समय गुजरने के साथ कम हो रहा था. इसके अलावा पांच दिन के मुकाबलों के नीरस ड्रॉ जैसे परिणाम भी खेल मैदानों (स्‍टेडियमों) में दर्शकों की संख्‍या में गिरावट का कारण बन रहे थे. मुश्किलभरे इस दौर में फटाफट क्रिकेट (वनडे और टी20) ने क्रिकेट में नई जान फूंकने का काम किया. वनडे और टी20 के आने से न सिर्फ खेल के प्रति रोमांच बढ़ा है बल्कि दर्शकों की संख्‍या और रेवेन्‍यू में भी कई गुना इजाफा हुआ है. बैटर्स की खेलने की शैली में आए बदलाव के कारण अब पहले की तुलना में टेस्‍ट मैचों के ज्‍यादा परिणाम आने लगे हैं.

क्रिकेट में पहला वनडे 5 जनवरी 1971 को ऑस्‍ट्रेलिया और इंग्‍लैंड के बीच खेला गया था जबकि पहला टी20 फरवरी 2005 में ऑस्‍ट्रेलिया और न्‍यूजीलैंड के बीच खेला गया. वनडे की बात करें तो इसमें सबसे पहले, पावर प्‍ले (Power Play) का उपयोग 1996 के वर्ल्‍डकप में हुआ. पावर प्‍ले की इस व्‍यवस्‍था के कारण खेल में अधिक रन बनने शुरू हुए और रोमांच बढ़ा है.

पहले 15 ओवर का होता था पावर प्‍ले
पावरप्ले के लिए शुरुआती 15 ओवर रखे गए. इस दौरान फील्डिंग टीम को 30 गज के सर्कल के बाहर अधिकतम दो फील्डर रखने की इजाजत थी. इस नियम के अमल में आने के बाद पहले 15 ओवर में तो खूब रन बनने लगे लेकिन बीच के ओवरों में रनों की गति धीमी रहने से खेल में नीरसता आने लगी. इसे ध्‍यान में रखते हुए 2005 में नया पावर प्‍ले नियम व्‍यवहार में लाया गया.

नया पावर प्‍ले 20 ओवर का किया गया

नया पावर प्‍ले पुराने पावर प्‍ले का ही विस्‍तार है जिसे 15 ओवरों से बढ़ाकर 20 ओवरों का कर दिया गया. यही नहीं, इन 20 ओवरों को तीन हिस्सों में बांटा गया-अनिवार्य पावरप्ले और 5-5 ओवर के दो अन्‍य पावर प्ले. पहले 10 ओवर अनिवार्य पावर प्‍ले के होते हैं जिसमें बॉलिंग करने वाली टीम दो फील्‍डर्स ही 30 गज के सर्कल से बाहर रख सकती है. दूसरे पावर प्‍ले में फील्डिंग टीम को अधिकतम 4 फील्‍डर्स को सर्कल के बाहर रखने की इजाजत है. इसी तरह पावर प्‍ले-3 में फील्डिंग टीम अधिकतम 5 फील्डर्स को सर्कल के बाहर रख सकती है.

2008 में एक पावर प्‍ले बैटिंग करने वाली टीम को दिया गया
वर्ष 2008 में 2005 के फैसले में बदलाव करते हुए पांच ओवर के दो पावरप्ले में से एक को बैटिंग करने वाली टीम को देते हुए इसे बैटिंग पावरप्‍ले  नाम दिया गया. इस बदलाव का प्रमुख कारण मिडिल ओवर्स में रन बनने की रफ्तार में तेजी लाना था. इस बात को ध्‍यान में रखते हुए कि कुछ टीमों ने डेथ ओवर्स में ही बैटिंग पावरप्‍ले के उपयोग के विकल्प को चुना, ICC ने 2011 में यह अनिवार्य कर दिया कि बैटिंग और बॉलिंग, दोनों पावर प्‍ले 16 से 36 ओवरों के बीच ले लिए जाने चाहिए.

बैटिंग पावरप्ले के नियम को ICC ने हटाया गया 

वैसे, 2015 वर्ल्ड कप के बाद बैटिंग पावरप्ले के नियम को ICC ने हटा दिया और अब पहले की तरह तीन पावर प्‍ले क्रिकेट में हैं जिन्‍हें 1 से 10 ओवर, 11 से 40 ओवर और 41 से 50 ओवर्स के बीच इस्‍तेमाल किया जा सकता है.

टी20 में पहले छह ओवरों का होता है पावर प्‍ले
टी20 क्रिकेट की बात करें तो इसमें एक ही पावर प्‍ले होता है. इस पावरप्ले का इस्तेमाल शुरू के 1-6 ओवरों के बीच किया जाता हैं. इस पावर प्‍ले में फील्डिंग टीम अधिकतम दो ही फील्डर्स को 30 गज के बाहर रख सकती हैं. वही शेष 14 ओवरों यानी 7 से 20 ओवरों के बीच फील्डिंग टीम अपने अधिकतम पांच फील्डरों को 30 गज के सर्कल से बाहर रख सकती है.

Tags: Cricket, ICC Rules

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