Explainer: कैसे कोई शख्स बन जाता है क्रूर हत्यारा, क्या चलता है उसके दिमाग में?

[ad_1]

Shahabad Dairy Murder Case: दिल्ली के शाहबाद डेयरी इलाके में एक युवक साहिल ने एक नाबालिग लड़की की चाकू गोदकर हत्‍या कर दी. उसने किशोरी पर चाकू से 40 से ज्‍यादा वार किए. आरोपी साहिल सड़क के बीचोंबीच किशोरी पर चाकू से तब तक हमले करता रहा, जब तक कि उसकी मौत नहीं हो गई. यही नहीं, उसने किशोरी के सिर पर पत्‍थर से छह बार हमला भी किया. इस तरह की ये पहली या आखिरी बर्बर घटना नहीं है. सवाल ये उठता है कि आखिर कैसे कोई व्‍यक्ति इतना क्रूर हत्‍यारा बन जाता है. दुनियाभर में वैज्ञानिक व शोधकर्ता दशकों से इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिशों में जुटे हैं.

शोधकर्ता अपराधियों और खासतौर पर हत्‍यारों के दिमाग का लगातार अध्‍ययन कर ये पता करने की कोशिश करते रहे हैं कि उन्‍हें क्या किसी दूसरे व्‍यक्ति को मारने के लिए प्रेरित करता है? उनके दिमाग में ऐसा क्‍या चल रहा होता है कि वे इतना जघन्‍य अपराध करने में भी नहीं हिचकिचाते हैं. साल 1870 के दशक में डॉ. सेसारे लोम्ब्रोसो ट्यूरिन में कैद अपराधियों का अध्ययन कर रहे थे. उन्‍हें वैज्ञानिक अपराध विज्ञान का जनक कहा जाता है. डॉ. लोम्‍ब्रोसों को भरोसा हो गया कि अपराधी विकासवादी सीढ़ी से एक कदम पीछे हैं. उन्होंने कई साल के अध्ययन के बाद निष्‍कर्ष निकाला कि अपराधी को उसके चेहरे के आकार और उसके हाथों की सामान्‍य से ज्‍यादा लंबाई के जरिये आसानी से पहचाना जा सकता है.

ये भी पढ़ें – महिलाओं की बॉडी क्लॉक पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा असरदार कैसे होती है, नए शोध में मिले संकेत

ज्‍यादा समय नहीं चले डॉ. लोम्‍ब्रोसो के निष्‍कर्ष
डॉ. लोम्‍ब्रोसो ने लिखा कि अपराधियों के कान अक्‍सर बड़े होते हैं. चोरों की नाक ऊपर की ओर उठी हुई या चपटी होती है. वहीं, हत्यारों के लिए उन्‍होंने लिखा कि उनकी नाक अक्सर शिकार के पक्षी की चोंच की तरह होती है. हालांकि, संभावित हत्यारों को ढूंढना उतना आसान नहीं था, जितना डॉ लोम्ब्रोसो ने दावा किया था. उनके वैज्ञानिक निष्कर्ष जल्द ही अमान्‍य हो गए थे. फिर भी यह इस दिशा में एक खोज की शुरुआत थी, जो एक सदी से भी ज्‍यादा समय तक जारी रही. शोधकर्ता यह पता लगाने की कोशिशों में जुट गए कि क्या अपराधियों और खासतौर पर हत्यारों का दिमाग बाकी लोगों से अलग होता है?

Science Facts, Explainer, How a person becomes a ruthless killer, Killer, Sakshi Murder Case, Criminal Sahil, what goes on in mind of murderer, science facts, Science News, Research, New Study, Knowledge News, Knowledge News in Hindi, News18, News18 Hindi, Knowledge

वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि क्या अपराधियों और खासतौर पर हत्यारों का दिमाग बाकी लोगों से अलग होता है?

हत्‍यारों के दिमाग में किस तरह के बदलाव मिले
क्रियाशील मस्तिष्‍क की स्‍कैनिंग के अविष्‍कार ने 1980 के दशक में इस क्षेत्र में क्रांति ला दी. शोधकर्ताओं को ये पता करने में काफी मदद मिली कि हमारे मस्तिष्‍क के अंदर क्‍या चल रहा है? कैलिफोर्निया में ब्रिटिश न्यूरोसाइंटिस्ट प्रोफेसर एड्रियन राइन ने पहली बार हत्यारों के दिमाग का स्कैनिंग के जरिये अध्ययन किया गया. उन्‍होंने गोल्‍डन स्‍टेट में कई साल तक कई हत्यारों के दिमाग को स्कैन किया. उन्‍होंने पाया कि करीब-करीब सभी हत्‍यारों के दिमाग में एक जैसे बदलाव हुए हैं. उनके मस्तिष्क के भावनात्मक आवेगों को नियंत्रित करने वाले क्षेत्र यानी प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स में गतिविधि कम हो गई थी. साथ ही भावनाओं को पैदा करने वाला दिमाग का अमिगडाला क्षेत्र ज्‍यादा सक्रियता हो गया था. इससे साफ हुआ कि हत्‍यारों का दिमाग गुस्‍से की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है और आवेश में खुद को नियंत्रित करने में कमजोर कर देता है.

ये भी पढ़ें – अब लकड़ी से भी बनाया जा रहा अल्‍कोहल, कैसे हुआ संभव, किसने की खोज

बचपन में हुआ बुरा बर्ताव भी होता है जिम्‍मेदार
प्रोफेसर राइन के अध्ययन से पता चलता है कि इसका कारण बचपन में उनके साथ हुआ कोई बुरा बर्ताव हो सकता है, जो मस्तिष्क को शारीरिक नुकसान पहुंचाकर हत्या करने की प्रवृत्ति पैदा कर सकता है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोफेसर राइन द्वारा स्कैन किए गए कैदियों में से एक डोंटा पेज था, जिसने एक 24 वर्षीय महिला की घर में घुसते हुए पकड़ने पर बेरहमी से हत्या कर दी थी. प्रोफेसर राइन को पता चला कि बचपन में पेज की मां का बर्ताव उसके प्रति खराब था, जो उम्र के साथ बदतर होता गया. उसकी मां उसे बिजली के तारों, जूतों ये पीटती थी. इस तरह की मार उसे हर दिन पड़ती थी. प्रोफेसर राइन कहते हैं कि बचपन में शारीरिक शोषण मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाकर हिंसक प्रवृत्ति को जन्‍म दे सकता है.

ये भी पढ़ें – अगर आप रोज एक मल्टीविटामिन लेते हैं तो आपके दिमाग पर क्या होगा असर? क्या कहते हैं साइंटिस्ट

एक जीन भी है हिंसक प्रवृत्ति के लिए जिम्‍मेदार?
हालांकि, बचपन में बुरा बर्ताव झेले हुए सभी बच्‍चे बड़े होकर हत्‍यारे नहीं बनते हैं. फिर कुछ लोगों में ऐसा क्‍या होता है, जो उनको हत्‍या करने के लिए प्रेरित करता है? शोधकर्ताओं को 1993 में नीदरलैंड में एक परिवार पर किए अध्‍ययन से इसे जानने में मदद मिली. इस परिवार के सभी पुरुषों का हिंसा का इतिहास था. शोधकर्ताओं ने इस परिवार पर 15 साल अध्‍ययन किया. शोध से पता चला कि इस परिवार के सभी पुरुषों में एक ही जीन की कमी थी. यह जीन एमओओए नाम का एंजाइम पैदा करता है, जो आवेग को काबू करने में शामिल न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर को नियंत्रित करता है. इससे पता चला कि अगर किसी व्‍यक्ति में एमएओए जीन की कमी है तो उसमें हिंसा की प्रवृत्ति हो सकती है. लगभग 30 फीसदी पुरुषों में यह जीन होता है. हालांकि, ये जीन सक्रिय होता है या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि बचपन में आपके साथ क्या हुआ है?

Science Facts, Explainer, How a person becomes a ruthless killer, Killer, Sakshi Murder Case, Criminal Sahil, what goes on in mind of murderer, science facts, Science News, Research, New Study, Knowledge News, Knowledge News in Hindi, News18, News18 Hindi, Knowledge

शोधकर्ताओं ने 1993 में एक ऐसे परिवार पर शोध किया, जिसके ज्‍यादातर पुरुषों का हिंसा का इतिहास रहा था.

क्‍या इस जीन वाला हर व्‍यक्ति बनता है हत्‍यारा?
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर जिम फॉलन इस शोध में व्यक्तिगत रुचि रखते हैं. उन्‍होंने अपने फैमिली ट्री में बड़ी संख्या में हत्यारों की खोज की. इसके बाद उन्होंने खुद को आनुवंशिक रूप से परीक्षण किया और पता चला कि उनके पास बहुत सारे जीन हैं, जो हिंसक मनोरोगी व्यवहार से जुड़े हैं. वह कहते हैं कि कम खतरनाक आनुवंशिकी वाले लोग हत्यारे बन जाते हैं और जो मेरे पास हैं उससे मनोरोगी बनते हैं. वह कहते हैं कि फिर भी जिम एक हत्यारा नहीं है. वह एक सम्मानित प्रोफेसर है. उनके मुताबिक, उनको हिंसा की विरासत से बचाने के लिए खुशहाल बचपन दिया गया. उन्‍होंने निष्‍कर्ष निकाला कि अगर आपके पास जीन का उच्च-जोखिम वाला रूप है और आपके जीवन में शुरुआती समय में दुर्व्यवहार किया गया था तो आपके अपराध के जीवन की आशंका बहुत ज्‍यादा है. यदि आपके पास उच्च-जोखिम वाला जीन है, लेकिन आपसे दुर्व्यवहार नहीं किया गया था, तो जोखिम की दर घट जाती है.

Tags: Crime News, Fearless criminals, Health News, Mental diseases, Mental Health Awareness, Research

[ad_2]

Source link