शरीर में मौजूद वायरस कैंसर को कर सकते हैं जड़ से खत्‍म, क्‍या कहता है विज्ञान

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Viruses can Treat Cancer – नए शोध के मुताबिक, इंसान के डीएनए में मौजूद वायरस फेफड़ों के कैंसर का पूरी तरह से इलाज करके जड़ से खत्‍म कर सकते हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, इंसानों के डीएनए में बच गए प्राचीन वायरस कैंसर को ठीक करने में एंटीबॉडी की तरह काम कर सकते हैं.

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Viruses and Cancer Treatment: कैंसर का नाम सुनते ही कोई भी इंसान पहली बार तो बुरी तरह घबरा जाता है. इसका कारण है कैंसर से हर साल करोड़ों लोगों की मौत. हाल में किए गए एक शोध में इसका नया इलाज बताया गया है. शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि इंसानों के डीएनए में बच गए प्राचीन वायरस फेफड़े के कैंसर के इलाज में मदद कर सकते हैं. नेचर मैगजीन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, प्राचीन वायरस फेफेड़े के कैंसर से लड़ने में एंटीबॉडी की तरह काम करते हें.

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शोध में इम्‍यूनोथेरेपी के जरिये इलाज करा रहे मरीजों की बदलती हालत को बेहतर तरीके से समझा गया. शोध के दौरान इम्‍यूनोथेरेपी के लिए बेहतर प्रतिक्रियाओं और कैंसर के ट्यूमर के चारों ओर एंटीबॉडी बनाने वाली बी सेल्‍स के बीच लिंक का पता लगाया गया. शोध में पाया गया कि इंसानों के डीएनए में बची हुई पुरानी कोशिकाओं होती हैं. इनको एंडोजेनस रेट्रोवायरस कहा जाता है. ये ईआरवी वायरल रोगों से बच गए हमारे पूर्वजों की पीढ़ियों से गुजरता है. यही कैंसर से लड़ने में रोगप्रतिरोधक प्रणाली की मदद करता है.

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रेट्रोवायरल इम्यूनोलॉजी प्रयोगशाला के प्रमुख जॉर्ज कैसियोटिस ने बताया कि अब कैंसर के इलाज के लिए ईआरवी जीन से बनी वैक्सीन बनाने पर विचार किया जा रहा है. ये वैक्‍सीन कैंसर रोगी के शरीर में एंटीबॉडी बढ़ाने में मदद करेगी. इससे इम्यूनोथेरेपी के इलाज के बेहतर नतीजे मिल सकते हैं. लंदन में फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता ने कैंसर वाले चूहों और फेफडों के कैंसर वाले लोगों के ट्यूमर के सैंपल के इम्यून सेल का परीक्षण किया.

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शोधकर्ताओं ने विश्लेषण में पाया कि बी सेल्‍स फेफड़े के कैंसर से छुटकारा दिलाने में मददगार होती हैं. ये बी कोशिकाएं ट्यूमर के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती हैं. बता दें कि दुनिया भर में फेफड़ों के कैंसर से सबसे ज्‍यादा लोगों की मौत होती है. हालांकि, रोगियों के इलाज में अब इम्यूनोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी का इस्‍तेमाल बखूबी किया जा रहा है. शोध में पाया गया कि एंटीबॉडी ने प्राचीन वायरल डीएनए को पहचाना. यह वायरल डीएनए लगभग 5 फीसदी मानव जीनोम बनाता है.

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इस शोध में शामिल जॉर्ज कासियोटिस ने कहा कि कैंसर ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने की प्राचीन वायरस की क्षमता के कारण कैंसर के खिलाफ टी कोशिकाओं की गतिविधि पर ध्यान दिया जाता है. ईआरवी हजारों या लाखों वर्षों से मानव जीनोम में वायरल फुटप्रिंट के तौर पर छिपे हैं. ये आज के रोगों के इलाज के लिए काफी अहम साबित हो सकते हैं.

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