मेहमान को मुर्गा खिलाना पड़ा महंगा, सास-बहू ने खुद ही खोल लिया पोल्ट्री फॉर्म, अब हैं लखपति

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रिपोर्ट-नीरज कुमार
बेगूसराय. कोई खास मेहमान आ रहा है और अगर नॉन वेजिटेरियन है तो घर में जमकर दावत होती है. मुर्गा मछली बनता है. कई बार ये खर्चा अखर जाता है. बेगुसराय के एक परिवार को मुर्गा खरीदना इतना अखरा कि उसने पूरा का पूरा पोल्ट्रीफॉर्म ही खोल लिया. अब मेहमान भी घर के और मुर्गी भी अपनी.

भोज में मांस-मछली के साथ मुर्गा का चलन बढ़ता जा रहा है. अब तो ग्रामीण इलाकों में होने वाले शुभ कार्य में मीट की बढ़ती डिमांड को देखते हुए कीमत में भी इजाफा हो रहा है. बेगूसराय के एक परिवार ने कभी खुद के यहां भोज में हुए खर्च को देखते हुए मुर्गा पालन ही शुरू कर दिया. ये काम वो हाईटेक तरीके से कर रहे हैं. तकनीक आधारित कृषि व्यवसाय उनके परिवार के लिए फायदेमंद साबित हुआ है. ये परिवार अब सबको सलाह दे रहा है कि आप भी पोल्ट्री फॉर्मिंग कर कम समय में बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.

सास, बहू का पोल्ट्री फॉर्म
ये परिवार है सुमित्रा देवी का. वो बताती हैं अपनी बहू नीलम देवी और बेटा पिंटू कुमार के साथ मिलकर पॉल्ट्री फॉर्म चलाती हैं. इसकी शुरुआत उन्होंने तीन साल पहले एक लाख रुपए की पूंजी लगाकर की थी. उस समय उनके पास 1000 चूजे थे. काम शुरू करने के दौरान ही उन्हें जीविका से भी 50 हजार का लोन मिला था. फिर धीरे-धीरे कारोबार को आगे बढ़ाती चली गईं. आज उनके फॉर्म में 4000 चूजे हैं. सास-बहू और बेटे के बीच काम बंटा हुआ है. सुमित्रा देवी का काम मुर्गों को ग्लूकोज और दवाई देना है. बहू का काम फीड और टेंपरेचर कंट्रोल करना, जबकि बेटे का काम मार्केटिंग है. महीने में एक बार जीविका की टीम निरीक्षण करने आती है.

दो महीने में 2 लाख की कमाई
सुमित्रा देवी ने बताया 4 हजार चूजों को दो-दो किलो का मुर्गा तैयार करने में 50 से 60 दिन का समय लग जाता है. चूजा लाने से लेकर मुर्गा तैयार कर बेचने तक पर दो महीने में 3 लाख तक का खर्च आ जाता है. जबकि तैयार मुर्गा को बाजार में बेचने पर 5 लाख मिल जाता है. इस तरह से दो माह में 2 लाख की कमाई हो जाती है. हालांकि साल में एक बार गर्मी के मौसम में बीमारी की वजह से नुकसान का भी डर रहता है.

Tags: Begusarai news, Local18, Poultry Farm, Success Story

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