Sawan 2022: भोलेनाथ का एक ऐसा मंदिर जहां सिर्फ भक्‍त करते हैं पूजा, दीवारों पर गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल

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रिपोर्ट-अंजलि सिंह राजपूत

लखनऊ. हरदोई रोड पर बेहटा नदी के ठीक किनारे भगवान शिव का एक बेहद ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर स्थित है जिसका निर्माण राजा टिकैत ने कराया था. अवध के नवाब आसफुद्दौला के शासनकाल में राजा टिकैत उनके प्रधानमंत्री रहे थे. 1786-88 के बीच बने इस नवाबी काल के मंदिर की खासियत यह है कि यह मंदिर लखौरी ईंटों से बनाया गया है, जिस पर चूने के मसाले से प्लास्टर तथा अलंकरण किया गया है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह मंदिर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है.

इस मंदिर की सभी दीवारें चिकनकारी युक्त हैं. यानी मंदिर की दीवारों से लेकर इसकी प्रवेश द्वार और बाहर के गुंबद तक पर आपको खूबसूरत बारीक चिकनकारी के डिजाइन देखने के लिए मिल जायेंगे, जो कि इस मंदिर और उसके आसपास ऐतिहासिक इमारतों की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं. सावन के पहले सोमवार पर पूजा अर्चना करने के लिए सुबह से ही यहां पर भक्तों की भीड़ लगी दिखाई दे रही है.

मंदिर में कभी कोई पुजारी नहीं रहा
यह मंदिर रोजाना सुबह 5:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है. इस मंदिर की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरा मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन आता है. पुरातत्व विभाग जर्जर हो चुकी इस प्राचीन मंदिर की मरम्मत करा रहा है. इसके अलावा इस मंदिर में एक भी पुजारी नहीं है. भक्त ही इस मंदिर को खोलते हैं और इसकी पूजा अर्चना करते हैं. आसपास के भक्तों की मानें तो इस मंदिर में कभी कोई पुजारी रहा ही नहीं. यह मंदिर हमेशा से ही भक्तों के ही अधीन रही है.

पीछे है एक सुरंग और रहस्मयी सीढ़ियां
यह मंदिर टिकैतगंज हरदोई रोड पर टिकैत गांव में बेहटा नदी के ठीक किनारे बना हुआ है. यह मंदिर चारों ओर बाउंड्री से घिरा हुआ है. इस मंदिर के ठीक पीछे एक रहस्मयी दरवाजा है, जहां से नदी के अंदर उतरने के लिए करीब 15 सीढ़ियां बनी हुई हैं. हालांकि नदी में पानी अधिक होने के कारण अब सिर्फ वहां पांच सीढ़ियां ही नजर आती हैं. इन्हीं सीढ़ियों के पास एक सुरंग भी है. बताया जाता है कि इस सुरंग का निर्माण भी राजा टिकैत राय ने ही कराया था. हालांकि यह सीढ़ि‍यां कहां निकलती हैं यह किसी को पता नहीं है. वैसे कुछ लोगों का कहना है कि यह सुरंग बड़ा इमामबाड़ा तक जाती है. हालांकि इसको पुरातत्व विभाग ने बंद कर दिया है. इसके अलावा बताया जाता है कि नदी के जरिए जब भी राजा टिकैत को दर्शन करने होते थे महादेव के तो वह अपनी नाव से इस सीढ़ियों के जरिए प्रवेश करते थे और दर्शन पूजन करके दोबारा नदी के जरिए ही चले जाते थे, इसलिए उन्होंने खासतौर पर पीछे का यह रास्ता बनवाया था.

मंदिर में हैं दो शिवलिंग
इस मंदिर में दो शिवलिंग हैं. इसके अलावा मंदिर के अंदर चार प्रवेश द्वार हैं ताकि किसी भी भक्तों को दर्शन करने में कोई दिक्कत ना हो और चारों प्रवेश द्वार के जरिए भक्त अंदर आ सकें. इसके अलावा इस मंदिर में शिवलिंग के ठीक पास में नंदी जी विराजमान हैं. इस मंदिर में शिवलिंग और नंदी जी के अलावा किसी भी दूसरे देवी देवता की कोई मूर्ति नहीं है. इस मंदिर में एक पेड़ भी है जो कि प्राचीन बताया जाता है.

दूर दराज से पूजा करने आते हैं भक्त
इस मंदिर में बस्ती से पूजा करने आईं पूनम बताती हैं कि वह हर सावन पर बस्ती से इसी मंदिर में पूजा अर्चना करने आती हैं. उनकी हर मुराद यहीं पर पूरी होती है. इसके अलावा स्थानीय भक्त राम रावत अपनी पत्नी रामवती के साथ पहुंचे और दोनों ने पूजा अर्चना की. उन्होंने यह बताया कि दोनों मंदिर में हमेशा से ही आते रहते हैं. महादेव सबकी इच्छाएं पूर्ण करते हैं.

Tags: Lord Shiva, Lucknow news, Sawan somvar

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