Marxist-Leninist Lunch: दिल्ली में एक जगह ऐसी भी जहां मिलती है 12 रुपये की थाली… वरिष्ठ राजनेता यहां सालों से कर रहे लंच

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रिपोर्ट: रूपाश्री नंदा

नई दिल्ली: जहां पूरी दुनिया में मंहगाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, खाने पीने की चीजों के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी की खबरें आ रही हैं. ऐसे में नई दिल्ली के भाई वीर सिंह मार्ग पर गुलहड़, शहतूत, पीपल, नीम, बरगद और अशोक के पेड़ों से घिरी एक ऐसी जगह हैं जहां पर जाकर लगता है कि वक्त रुक सा गया है. खासकर अगर बात खाने के दाम की हो. यह जगह है भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्कसिस्ट) का कार्यालय, जहां ए गोपालन भवन के के ग्राउंड फ्लोर पर बनी कैंटीन में आकर आपको ऊपर कही बात सही लगेगी.

रोटी, सब्जी दाल-चावल महज 12 रुपये प्लेट
एक सादगी से भरी हुई कैंटीन जहां महज 12 रुपये में चपाती, सब्जी,दाल और चावल की थाली मिल जाती है. खास बात यह है कि सब्सिडी वाला खाना सिर्फ पुराने और दिग्गज नेताओं के लिए नहीं बल्कि पूर्णकालिक कार्यकर्ता और रोजाना आने वाले अन्य कार्यकर्ताओं के लिए भी उपलब्ध है. यह वह जगह है जहां कम्युनिस्ट पार्टी के मूल सिद्धांत और आत्मा आज भी मौजूद है. जहां पार्टी के समर्पित पूर्णकालिक कार्यकर्ता, कार्यकर्ता और यहां तक कि पार्टी के आवेदक एक साथ एक ही टेबल पर खाने का लुत्फ लेते हैं.

1986 से सीताराम येचुरी यहीं खाते हैं खाना
सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी यहां अक्सर आते हैं. उन्होंने न्यूज 18 को बताया कि, जब मैं पार्टी के लिए पूरी तरह से समर्पित कार्यकर्ता बन पार्टी मुख्यालय में काम करना शुरू किया था तभी से मैं यहां आ रहा हूं. 1986 में मैं पार्टी में शामिल हुआ था, तभी से यह मेरे अभ्यास में है. तब से अब तक करीब 40 साल बीत गए है, हम पार्टी की मेस में ही लंच करते आ रहे हैं.

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आधुनिकता नहीं सादगी से लैस कैंटीन
इस कैंटीन में अंदर आते ही आपको इसके सादेपन का अहसास हो जाता है. जहां सबसे आधुनिक गैजेट के नाम पर एक 230 लीटर का सैमसंग का फ्रिज है. इसके अलावा अन्य उपकरणों और जरूरी सामान के नाम पर ठंडे पानी का डिस्पेंसर, एक मिक्सर ग्राइंडर,और दीवार घड़ी शामिल है. मेस में तीन डाइनिंग टेबल हैं जिनमें प्रत्येक पर चार-चार कुर्सिया लगी हैं. खिड़की की दीवार के पार एक डाइनिंग बोर्ड, कुछ और कुर्सियां, छत और दीवार पर झूलते दो पंखे, दो स्टोव, कई गैस सिलेंडर और खाना पकाने के बर्तन, स्टील के ग्लास और ट्रे के अलावा और कुछ भी तामझाम नजर नहीं आता है.

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कैंटीन की दीवार पर लगा दिलचस्प कार्डबोर्ड 
इस कैंटीन में सबसे दिलचस्प चीज है कार्ड बोर्ड का एक कटआउट. जिसके साथ एक ए4 साइज का पेपर लगा हुआ है. साथ में एक नोटपैड दीवार से टंगा हुआ है और प्रत्येक पूर्णकालिक कार्यकर्ता का कैंटीन का मासिक बकाया बिल लगा हुआ है. जिसके मुताबिक येचुरी पर 132 रुपये, पोलितब्यूरो सदस्य ए विजयराघव और एए बेबी पर क्रमश:  24 और 255 रुपये. वहीं सबसे ज्यादा अशोक धावले पर 1,165 रुपये बकाया हैं.

येचुरी कहते हैं कि यह हमारी जिंदगी का हिस्सा रहा है. जब बैठक होती है और ज्यादा लोग आते हैं तो हम लोग कतार बनाकर अपनी प्लेट लेकर खुद खाना लेते हैं, कभी कभी रसोइया हमारी मदद करता है. यह यहां का चलन है.

Tags: Cpm, Sitaram Yechury

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