Health News: साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर का शिकार हो रहे युवा, जानें लक्षण और बचाव के तरीके

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मेघा उपाध्यक्ष/इंदौर. आज के समय में जहां हमारी जीवनशैली पूरी तरह बदल चुकी है, वहां योग को जीवन में उतारना बहुत ही जरूरी हो चुका है. मानसिक तनाव, डिप्रेशन और एंजाइटी जैसी समस्याएं आज के समय में हर तीसरे व्यक्ति में देखने को मिल जाती है. खासकर युवा पीढ़ी और विद्यार्थी जिन्हें हमेशा कैरियर, परीक्षा और कंपटीशन का टेंशन लगा रहता है. इसी कारण मानसिक समस्याओं का शिकार बनते जा रहे हैं और जब यह मानसिक समस्या हमारे शरीर पर असर दिखाने लगती हैं तो साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर नाम की बीमारी का हम शिकार बन जाते हैं.

क्या है साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर

साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर वह होते हैं जो शारीरिक लक्षण को दर्शाते हैं, लेकिन इनका कारण कहीं ना कहीं मानसिक ही होता है. जैसे तनाव के कारण काफी लोगों को उल्टी, सिर दर्द और ब्लड प्रेशर का सामना करना पड़ता है. लोगों का मानसिक रूप से परेशान रहना उनके जीवन पर असर डालता है. जैसे नींद नहीं आना और उदासी भरा मन रहना यह भी साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर के लक्षण हैं.

इससे निजात पाने के लिए योग को जीवन में शामिल करना बहुत ही अच्छा उपाय होगा. योग हमारे मन को शांति देता है और शरीर में नई ऊर्जा का आवागमन करता है, जिससे हम बहुत ही तरोताजा और सकारात्मक महसूस करते हैं.

योगा थैरेपिस्ट पुनीत शर्मा ने बताया कि यह बीमारी यंग जनरेशन खासकर 20 से 25 की उम्र वाले लोगों के बीच में काफी देखने को मिलती है. इसका कारण बिगड़ी हुई जीवनशैली है. जिससे तनाव और अन्य मानसिक समस्याएं पैदा होती हैं और वे शारीरिक रूप से गहरा असर डालती हैं. व्यक्ति के जीवन में साधारण योग को शामिल करने से वह हमेशा एक्टिव और फ्रेश रहेगा. इतना ही नहीं उसमें तनाव को झेलने की शक्ति भी पैदा होगी.

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FIRST PUBLISHED : June 06, 2023, 17:38 IST

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