Low Population Impact: भारत चीन को पीछे छोड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन चुका है. देश में काफी लंबे समय से ‘हम दो, हमारे दो’ के नारे के साथ जनसंख्या नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है. दरअसल, सरकारों को हमेशा से ये चिंता सताती रही है कि देश की आबादी बहुत ज्यादा बढ़ गई तो उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधन जुटाना मुश्किल हो जाएगा. वहीं, मौजूदा संसाधनों पर बोझ बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा. वहीं, कई देश इस समय अपनी जनसंख्या के घटने को लेकर चिंतित हैं.
कई पश्चिमी देश और खासतौर पर यूरोपीय देश आबादी घटने की समस्या से जूझ रहे हैं. इसके कई कारण हैं. जहां बढ़ती आबादी के कारण आवास, मेडिकल सुविधाएं, पोषण, भोजन, बेरोजगारी की समस्या पैदा होती है. वहीं, घटती आबादी भी राहत देने के बजाय संबंधित देश के सामने काफी चुनौतियां खड़ी कर देती है. जानते हैं कि कई देशों की आबादी क्यों घट रही है? देशों पर घटती आबादी का क्या असर पड़ता है. इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं.
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आबादी के घटने का क्या है कारण?
अमेरिका, भारत और चीन में जहां आबादी बढ़ रही हैं. वहीं, कई पश्चिमी देशों और खासकर यूरोप के कई देशों में घटती आबादी सरकारों के लिए चिंता की वजह बन चुकी है. आबादी घटने का एक कारण युद्ध भी है. जैसे रूस और यूक्रेन के बीच पिछले एक साल से युद्ध जारी है. रूस के हमलों के कारण यूक्रेन, पोलैंड, ग्रीस और रोमानिया में आबादी काफी तेजी से घट रही है. इन देशों से काफी आबादी पलायन कर गई तो काफी लोग युद्ध में शहीद हो गए.
यूरोप के देशों में फर्टिलिटी रेट प्रति महिला 1.2 से 1.6 के बीच ही है, जबकि जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए ये 2 से ज्यादा होना चाहिए.
फर्टिलिटी रेट में गिरावट भी वजह
यूरोपीय देशों में जनसंख्या घटने का कारण गिरते फर्टिलिटी रेट को भी बताया जा रहा है. वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप के देशों में फर्टिलिटी रेट प्रति महिला 1.2 से 1.6 के बीच ही है. विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी भी देश की जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए फर्टिलिटी रेट 2 से ज्यादा होना ही चाहिए. फर्टिलिटी रेट घटने का कारण रहन-सहन और खानपान बताया जा रहा है.
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घटती आबादी का क्या है असर
अमूमन देखा गया है कि जिस देश की आबादी जितनी ज्यादा होती है, उस देश की सेनाएं उतनी ही बड़ी और मजबूत होती हैं. उदाहरण के लिए भारत और चीन की सेनाएं दुनिया की सबसे बड़ी आर्मी हैं. इसके उलट अगर किसी देश की आबादी घट रही है तो इसका सीधा मतलब है कि उस देश में बुजुर्गों की तादाद बढ़ रही है. इसका असर उस देश की सेना पर पड़ता है. इसके अलावा आबादी के बहुत ज्यादा बढ़ने या घटने से बेरोजगारी बढ़ने लगती है. घटती आबादी के मायने हैं कि वहां नई उम्र के लोगों की संख्या तेजी से घटी है. ऐसे में युवा उद्यमियों और युवा आबादी घटने पर रोजगार के अवसर भी कम हो जाते हैं. ऐसे में लोग दूसरे देशों को पलायन शुरू कर देते हैं.

युवा उद्यमियों और युवा आबादी घटने पर रोजगार के अवसर भी कम हो जाते हैं.
सरकारी खजाने पर सीधा असर
किसी देश की घटती आबादी का सीधा मतलब होता है कि वहां बुजुर्गों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में सरकार को उनके लिए रिटायरमेंट फंड और कई दूसरी योजनाएं चलाने होती हैं. इसके लिए सरकार को अतिरिक्त फंड की जरूरत पड़ती है. इससे देश के सरकारी खजाने पर बुरा असर पड़ता है. वहीं, घटती आबादी वाले देशों में युवा उद्यमियों और कामगारों के कम होते जाने के कारण इनोवेशन व नई सुविधाएं घटती जाती हैं. इसका सीधा असर उस देश की इकोनॉमी पर पड़ना तय होता है. घटती आबादी वाले देशों में महंगाई काफी तेजी से बढ़ती है. वहीं, वैश्विक मंदी की शुरुआत में ही ऐसे देशों पर असर दिखना शुरू हो जाता है. घटती आबादी वाले देशों में सुविधाएं कम होने लगती हैं.
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Tags: China Population, Population, Population control, United nations, World population
FIRST PUBLISHED : April 21, 2023, 14:48 IST