पिथौरागढ़. उत्तराखंड में नेपाल से भारत का 275 किलोमीटर का इंटनेशनल बॉर्डर सटा है. इतने बड़े बॉर्डर पर अब तक गाड़ियों की आवाजाही के लिए सिर्फ एक ही रास्ता था, लेकिन अब इस बॉर्डर पर कई रास्तों की तलाश तेज हो गई है. इसी क्रम में उत्तराखंड के झूलाघाट में भारत-नेपाल के बीच मोटर पुल बनने जा रहा है. विशेष बात यह कि इस पुल को बनाने की सहमति 1816 में ब्रिटिश इंडिया और नेपाल के बीच हो चुकी थी. तब से तीन सौ साल का सफर तय करने के बाद अब जाकर पुल बनाने की कवायद शुरू हुई है.
गौरतलब है कि उत्तराखंड में भारत और नेपाल के बीच आवाजाही के लिए भले ही दर्जन भर झूलापुल हों, लेकिन दोनों मुल्कों बीच गाड़ियां सिर्फ बनबसा बैराज से ही गुजरती हैं. इतने लंबे बॉर्डर पर एक अदद गाड़ी का रास्ता होन से दोनों देशों के हजारों लोगों को खासी दिक्क्तें उठानी पड़ती हैं. लेकिन, अब दोनों देशों की पहल पर नए मोटर पुलों को बनाने की कवायद शुरू हो गई है. भारत और नेपाल पिथौरागढ़ के झूलाघाट बॉर्डर पर 500 मीटर लंबा मोटर पुल बनाने में एकमत हो गए हैं.
झूलाघाट इंटरनेशनल पुल टिहरी के डोबरा चांठी पुल की तर्ज पर बनेगा जिसे डबल लेन बनाया जाना है. हैरानी की बात ये है कि झूलाघाट मोटर पुल 1816 की सुगौली संधि का हिस्सा था, लेकिन इसके बनने की प्रक्रिया शुरू होने में 3 सौ साल से अधिक का वक्त गुजर गया है. लोक निर्माण विभाग पिथौरागढ़ के अधिशासी अभियंता एमसी तिवारी ने बताया कि मोटर पुल को लेकर दोनों देशों के अधिकारियों ने स्थलीय दौरा कर लिया है. डीपीआर भी तैयार कर ली गई है. धनराशि मिलते ही काम भी शुरू कर लिया जाएगा.
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5 सौ करोड़ की लागत से बनेगा झूलाघाट इंटरनेशनल पुल
झूलाघाट इंटरनेशनल मोटर पुल की लागत 5 सौ करोड़ के करीब है. यही नहीं ये पुल प्रस्तावित पंचेश्वर बांध की ऊंचाई से ऊपर बनेगा. इससे साथ ही चम्पावत के सिरसा में भी 4 सौ मीटर का डबल लेन इंटरनेशनल मोटर पुल बनना है, जबकि धारचूला के छारछुम में अगले साल तक एक मोटर पुल वजूद में आ जाना है.
इन सभी पुलों को वजूद में आने के पर भारत-नेपाल के बीच गाड़ियों की आवाजाही के लिए 4 रास्ते हो जाएंगे. महाकाली की आवाज संगठन के अध्यक्ष शंकर खड़ायत का कहना है कि बॉर्डर पर बसे लोग लंबे समय से मोटर पुल की मांग कर रहे थे. पुल बनने से दोनों देशों के हजारों लोगों का खासा फायदा मिलेगा.
बता दें कि असल में झूलाघाट इंटरनेशनल मोटर पुल को बनाने की कवायद 2006 और 2017 में भी हुई थी, लेकिन नेपाल की आपत्ति से ये कवायद परवान नही चढ़ पाई है. मगर इस बार भारत के साथ ही नेपाल भी दोनों देशों के बीच गाड़ियों के नए रास्ते बनाने पर सहमत है. ऐसे में इन पुलों के वजूद में आने से जहां दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होंगे, वहीं बॉर्डर इलाकों पर कारोबार भी परवान चढ़ेगा.
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FIRST PUBLISHED : April 22, 2023, 09:08 IST