बॉलीवुड ने जब 6 फुट 3 इंच लंबे विलेन से किया किनारा, साउथ फिल्मों से मिला सहारा, और पलट गई किस्मत

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नई दिल्ली. ‘मेरा नाम है बुल्ला, रखता हूं खुल्ला’ ये डॉयलॉग शायद ही आप भूले होंगे. 6 फुट 3 इंच लंबाई के कद के दिखने वाले, जो अपनी बड़ी-बड़ी आंखों और बहुत ही खतरनाक फेशियल एक्सप्रेशन के साथ भारी-भरकम आवाज में जब डायलॉग बोलते थे, तो अच्छे-अच्छों को डर लगने लगने लगता था और बच्चे तो उन्हें विलेन के अवतार में देख अक्सर बुरी तरह से कांप जाते थे. बात कर रहे हैं बॉलीवुड के ‘बुल्ला’ यानी मुकेश ऋषि की. जब वह हीरो के सामने आते थे तो कई बार तो वह हीरो के ऊपर भी भारी पड़ जाते थे.

90 के दशक की कई फिल्मों में खतरनाक किरदार ‘बुल्ला’ यानी मुकेश ऋषि निभाए, लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिल्ममेकर्स के पहली पसंद बनने वाले विलेन को साल 2000 आते-आते फिल्में मिलना ही कम हो गई थी. बॉलीवुड ने उनसे किनारा किया तो हार नहीं मानी और उन्होंने तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया.

‘सरफोरोश’ में पहली बार निभाया पॉजिटिव किरदार
‘गर्दिश’ के ‘बिल्ला जलानी’ हो, ‘जुड़वा’ का ‘टाइगर’ हो, या सनी देओल की फिल्म ‘इंडियन’ का ‘वसीम खान’ हो. मुकेश ऋषि को ओरा हमेशा ऐसा रहा कि जब भी वो पर्दे पर आए, तो लोगों ने उन्हें नोटिस किया. ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने खतरनाक विलेन का किरदार ही निभाया, लेकिन आमिर खान की फिल्म ‘सरफोरोश’ में उन्होंने अपने करियर का पहला पॉजिटिव किरदार निभाया. फिल्म में वह सलीम के किरदार में नजग आए. फिल्म में उनका डायलॉग था, ‘फिर किसी सलीम से मत कहना, ये मुल्क उसका घर नहीं’.

हिंदी, साउथ ही नहीं भोजपुरी फिल्मों में भी किया काम
मुकेश ऋषि ने बॉलीवुड में ही नहीं साउथ की फिल्मों में भी काम किया है. उन्होंने बालाकृष्णन और चिरंजीवी सहित कई एक्टर्स की फिल्मों में बहुत सारे एक्शन ओवर द टॉप एक्शन सीक्वेंस किए हैं. साउथ की फिल्मों में मुकेश ऋषि ने धोती-कुर्ता पहन के किरदारों को ऐसे निभाया, जिसे देखने के बाद लोग इन्हें साउथ इंडियन समझते थे, लेकिन आप ये जानकर दंग रह जाएंगे कि हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, उड़िया, कन्नड और भोजपुरी सहित करीब 180 फिल्मों में काम किया है.

बचपन में पढ़ाई नहीं खेल में लगता था मन
मुकेश ऋषि का जन्म जम्मू के कठुआ जिले में हुआ था. इनके पिता स्टोन क्रशिंग यानी पत्थर तोड़ने का काम किया करते थे, जो इनका फैमिली बिजनेस भी था. अपनी शुरुआती पढ़ाई मुकेश ऋषि ने जम्मू में ही पूरी की थी. पढ़ाई में वह अच्छे नहीं थे, क्योंकि पढ़ाई से ज्यादा उनका मन खेलकूद में लगता था. स्कूलिंग पूरी करने के बाद उन्होंने चंडीगढ़ से अपने ग्रेजुएशन पूरी की और फिर पिता के बिजनेस को आगे बढ़ाने लिए मुंबई चले गए.

‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ से की एक्टिंग करियर की शुरुआत
मुकेश की हाइट और पर्सनैलिटी तो बहुत अच्छी थी. चार लोगों को बीच में वो खड़े हो जाते तो अलग दिखाई देते. इसलिए उन्हें लगा कि एक बार मॉडलिंग में जरूर मौका अजमाना चाहिए. उन्होंने फोटोशूट कराया और जैसी ही उनकी तस्वीरों को मॉडलिंग एजेंसी ने देखा, तो एक एजेंसी ने उन्हें अप्रोच किया. एक्टिंग के गुन सीखने के लिए मुंबई आकर रोशन तनेजा के एक्टिंग स्कूल में दाखिला लिया. यहां एक्टिंग के गुर सीखे और सुजैन खान के पिता और दिग्गज एक्टर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर संजय खान ने अपने टीवी सीरियल ‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ में एक छोटा रोल दिया. लेकिन इस रोल से उन्हें वो नाम नहीं मिला.

‘गुंडा’ का ‘बुल्ला’ से मिली पहचान
एक्टर ने साल तक स्ट्रगल किया, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें छोटे-छोटे रोल मिलना जरूर शुरू हो गए. उन्होंने हर छोटे रोल में जी जान लगा दिया और वह खास छाप छोड़ने में कामयाब होते गए. फिर क्या, उन्हें ‘गुप्त’, ‘बंधन’, ‘सूर्यवंशम’, ‘गर्व’, ‘गुंडा’ से लेकर ‘सरफरोश’ जैसी फिल्मों में बड़े खूंखार विलेन के रोल मिले, जिनके जरिए वह खूब पॉपुलर हुए. ‘गुंडा’ का ‘बुल्ला’ उनका सबसे लोकप्रिय किरदार माना जाता है.

क्यों किया साउथ फिल्मों का रुख?
साल 2000 के आते-आते फिल्मों में विलेन और उनके स्टाइल बदलने लगे थे और उनकी इमेज के देखते हुए अब बॉलीवुड में उन्हें फिल्में मिलना कम होने लगी थी. लेकिन साउथ में ऐसी बहुत सी फिल्में बन रही थी, जिसमें खूंखार विलेन अभी भी लोगों को पसंद आ रहे थे. तो मुकेश ने साल 2000 के आते-आते रुख साउथ फिल्मों की तरफ रुख कर लिया. जहां उन्होंने कई बड़े कलाकारों के साथ साउथ फिल्मों में काम किया. तेलुगु फिल्मों में उन्हें लोगों ने खूब प्यार दिया.

जब बॉलीवुड में धुंधली होती गई विलेन की छवि
साउथ में मेकर्स की विलेन के तौर पर वह पहली पसंद बन गए. अब आलम ये हो गया कि वह बॉलीवुड में वह 1 या 2 फिल्में करने लगे. वहीं, साउथ में साल भर में 4 से 5 फिल्में. लेकिन बॉलीवुड में बदले पेटर्न की वजह से यहां उनकी छवि धुंधली होती गई, लेकिन साउथ में लोग उन्होंने खूब पसंद कर रहे थे. 67 साल की उम्र में भी उन्हें साउथ की फिल्मों से ऑफर मिल रहे हैं. हाल ही में वह ‘वकील साहब’, ‘शेरा नरसिंभा रेड्डी’ और ‘खिलाड़ी’ जैसी फिल्मों में नजर आए.

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