ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होंगे कोंकणी लेखक दामोदर मावजो, गुलज़ार करेंगे नई पुस्तक का लोकार्पण

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विश्व प्रसिद्ध कोंकणी लेखक दामोदर मावजो को शनिवार, 27 मई को गोवा में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. दामोदर मावजो को यह सम्मान प्रसिद्ध गीतकार गुलजार और गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई प्रदान करेंगे. इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत और कला व संस्कृति मंत्री गोवींद गावडे भी उपस्थित रहेंगे. कार्यक्रम में दामोदर मावजा का नया कहानी संग्रह ‘मन्नत और अन्य कहानियां’ का भी लोकार्पण किया जाएगा. यह पुस्तक वाणी प्रकाशन समूह से प्रकाशित हो रही है.

ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने तथा नई पुस्तक के लोकार्पण के बारे में दामोदर मावजो ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रसिद्ध फ़िल्मकार, साहित्यकार गीतकार गुलज़ार की गरिमामय उपस्थिति में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करना और इस मौके पर एक नई किताब का लोकार्पण उनकी साहित्यिक यात्रा में एक और नया पड़ाव है.

वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा कि भारतीय ज्ञानपीठ की अविरल व प्रतिष्ठित साहित्यिक धारा के साथ जुड़कर वाणी प्रकाशन ग्रुप गौरवान्वित है. इस यात्रा में दामोदर मावज़ो जी के नए कोंकणी में लिखे कहानी संग्रह को हिंदी भाषा में रमिता गुरव द्वारा अनुवाद को प्रकाशित और लोकार्पित कर उन्हें बेहद प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है.

पुस्तक की अनुवादिका रमिता गुरव ने कहा कि वरिष्ठ कोंकणी लेखक दामोदर मावज़ो को भारतीय साहित्य क्षेत्र के शीर्षस्थ पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाना सभी कोंकणी भाषा और साहित्य प्रेमियों के लिए गौरव की बात है. इस अवसर पर दामोदर मावज़ो की कोंकणी कहानियों का हिंदी अनुवाद ‘मन्नत और अन्य कहानियां’ के लोकार्पण द्वारा हिंदी साहित्य प्रेमियों को कोंकणी साहित्य से परिचित होने का अवसर मिलेगा.

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दामोदर मावजो का जन्म 1 अगस्त, 1944 को दक्षिण गोवा के माजोरड़ा गांव में हुआ था. प्रगतिशील विचार, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, सहिष्णुता तथा मानवीय मूल्यों के प्रखर समर्थक दामोदर मावजो समकालीन कोंकणी साहित्य जगत के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं. रचनात्मक लेखन के साथ ही गोवा की स्वतन्त्र राज्य के रूप में स्थापना, कोंकणी भाषा तथा गोवा के पर्यावरण की रक्षा से सम्बन्धित आन्दोलनों में वे सक्रिय रहे हैं.

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दामोदर मावजो ने कहानी, उपन्यास, निबन्ध, आलोचना, पटकथा लेखन जैसी विविध विधाओं में लेखन कार्य किया है. उनकी कोंकणी में लगभग 25 और अंग्रेजी में एक किताब प्रकाशित हुई है. कई किताबों का सम्पादन करने के साथ ही उन्होंने अनुवाद कार्य भी किया है. दामोदर मावजो की रचनाओं का हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलगु, मलयालम, गुजराती, पुर्तगाली, फ्रेंच आदि भाषाओं में अनुवाद हुआ है.

मन्नत और अन्य कहानियां
कोंकणी कथाकार दामोदर मावजो पिछले साठ वर्षों से अपने रचनात्मक योगदान से कोंकणी साहित्य जगत को समृद्ध कर रहे हैं. पुर्तगाली शासन से मुक्त होने के बाद अब तक गोवा के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक जीवन में जो उतार-चढ़ाव आए हैं उन्हें उनकी कहानियों को पढ़ते हुए महसूस कर सकते हैं.

गोवा की मिट्टी की खुशबू लेकर आनेवाली ये कहानियां गोवा की साझी संस्कृति से पाठक का परिचय कराती हैं. कहानीकार की मानवीय और प्रगतिशील दृष्टि इन कहानियों का प्राण तत्त्व है. विषय की आवश्यकता के अनुसार इनका कहानी शिल्प आकार ग्रहण करता है. अपने और आस-पास के जीवन से प्रेरणा लेते हुए दामोदर मावजो गोवा के आम आदमी के जीवन-संघर्ष और सपनों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ कहानियों में प्रस्तुत करते हैं.

मनुष्य मन की गहराई से जांच-पड़ताल करती हुई इन कहानियों में कभी कहानीकार पाप और पुण्य की सीमा पर खड़े होकर लिए गए निर्णय का, प्रकृति और मनुष्य के बीच के सम्बन्ध का मार्मिक चित्रण करता है तो कभी स्त्री-पुरुष सम्बन्ध की बारीकियों को, आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे आम आदमी की जद्दोजहद को बड़े प्रभावी ढंग से हमारे समक्ष रखता है. किसान, पादरी, चपरासी, ड्राइवर, बेरोजगार, चोर, लेखक, डॉक्टर, अमीर, गरीब, कामकाजी स्त्री, मां, पिता, पति, पत्नी आदि ही नहीं बल्कि पेड़, पशु, पक्षी, सर्प, कुत्ता भी उनके कहानी -संसार का विश्वसनीय हिस्सा बनकर आते हैं.

एक ओर विदारक यथार्थ को दिखाते हुए दूसरी और दामोदर मावजो की कहानियां असहिष्णु एवं उपभोक्तावादी समय में मानवीय मूल्यों में गहरी आस्था एवं सकारात्मक दृष्टि को रेखांकित करती हैं.

Tags: Books, Hindi Literature, Literature

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