क्या होते हैं मूवी ग्रेड, कैसे की जाती हैं A,B और C ग्रेड की फिल्मों की पहचान, 90% लोग नहीं जानते

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नई दिल्ली. आप फिल्मों के शौकीन हैं. सिनेमाघरों में जाकर फिल्मों को देखना पसंद करते हैं. फिल्म हिट है या सुपरहिट ये भी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि टीवी या हॉल में जिस फिल्म को आपने देखा वो कौन से ग्रेड की थी. अगर नहीं जानते तो निराश होने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि लगभग 90 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनको फिल्में देखना का तो शौक है, लेकिन वो ये नहीं जानते कि A,B और C ग्रेड की फिल्मों की पहचान कैसे की जाती है. क्या ए ग्रेड की फिल्में सबसे अच्छी होती हैं और बी या सी ग्रेड की फिल्में अश्लील, ऐसा बिल्कुल नहीं है. आइए आपको बताते हैं किन मापदंडों के आधार पर फिल्मों की ग्रेडिंग तय की जाती है.

जमाना डिजिटल का है, इसलिए सिनेमा की खबरों तक पहुंचाना भी लोगों के लिए आसान हो गया है. लेकिन ये भी सच है कि फिल्मों में काम करने वाले एक्टर्स तक ही सिमेना सीमित नहीं है. फिल्म हो या गानें हर चीज के लिए कुछ मापदंड बनाए गए हैं, जिनके आधार पर ही सब निर्धारित होता है. कुछ मापदंडों के आधार पर फिल्मों को ग्रेड निर्धारित होते हैं.

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ए ग्रेड मूवी हमेशा अच्छी हो या बी ग्रेड मूवी हमेशा बेकार. कभी-कभी कुछ ए मूवी भी ऐसी होती हैं, जो देखने में बेहद बेकार होती हैं यानी दर्शक फिल्मों को फ्लॉप घोषित कर देते हैं, लेकिन फिर भी वह फिल्में ए श्रेणी में आती हैं. इसके अलावा कुछ बी ग्रेड की फिल्में ऐसी होती हैं, जो ऑडियंस को काफी पसंद आती हैं और वह कई सालों तक इन फिल्मों को देखना भी पसंद करते हैं.

ए ग्रेड फिल्म
ए ग्रेड श्रेणी में वो फिल्में आती हैं, जो उस टाइम के हिसाब से मेन स्ट्रीम सिनेमा को ध्यान में रखकर लिखी जाती हैं. इन्हें बनाने के लिए बेहतर तकनीक और कैमरों का भी इस्तेमाल किया जाता है. ये फिल्में ऐसी होती हैं, जिन्हें आप फैमिली के साथ देख सकते हैं. ए ग्रेड फिल्म के लिए बड़े स्टार्स को मोटी फीस दी जाती है. महंगे कपड़े, भव्य सेट्स, नामी संगीतकार फिल्म को बड़े बजट की बना देते हैं. इन फिल्मों को परिवार के साथ देखा जा सकता है. ए ग्रेड श्रेणी वाली फिल्में लुक वाइज और कॉन्टेंट वाइज काफी अच्छी होने चाहिए. बॉलीवुड में वैसे तो आजकल सारी फिल्में ए ग्रेड श्रेणी की फिल्में ही बनती हैं. आमतौर पर ए ग्रेड की फिल्म नब्बे मिनट से दो घंटे की होती है.

बी ग्रेड फिल्म
बी ग्रेड श्रेणी में वो फिल्में आती हैं, जिनका बजट काफी कम होता है और इन फिल्मों को थोड़े कम एडवांस इक्यूपमेंट्स के साथ शूट किया जाता है. बी ग्रेड फिल्मों में काफी लूप होल्स होते हैं, जिसे जनता देखते समय आसानी से समझ जाती है. फिल्म मेकर्स इन फिल्मों को बनाने में ज्यादा पैसा खर्च नहीं करते हैं. स्क्रिप्ट कुछ खास नहीं होती, पूरी फिल्म अश्लीलता के साथ परोसी जाती है. फिल्म के निर्माताओं को लगता है कि देसी कहानी और देसी कलाकारों को लेके वो आम लोगों से ज्यादा जुड़ पाएंगे इसलिए वो देसी शब्द पर ज्यादा फोकस करते हैं. बी ग्रेड की फिल्में सत्तर से अस्सी मिनट की होती हैं.

सी ग्रेड फिल्म
अब बात सी ग्रेड फिल्मों की. सी ग्रेड फिल्मों का बजट बी ग्रेड की फिल्मों से भी कम होता है. भले ही दर्शक बी ग्रेड की फिल्मों के कुछ कलाकारों को जानते होंगे, लेकिन सी ग्रेड की फिल्मों में काम करने वाले कलाकार बिल्कुल अंजान होते हैं. इनकी प्रोडक्शन वैल्यू एकदम निचले स्तर की होती है. कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि फिल्म की कहानी है क्या ये समझ ही नहीं आता है. यह फिल्में बी ग्रेड की फिल्मों से छोटी होती हैं. सी ग्रेड की फिल्में पैंतालीस मिनट तक की होती हैं.

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