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मेडिकल की खाली पड़ी 450 सीटों को भरने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने बनाया अब नया प्लान


नई दिल्ली. मेडिकल कॉलेजों (Medical Colleges) में नॉन- क्लीनिकल पीजी (Non- Clinical Courses) सीटें लगातार खाली रहने से स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) चिंतित है. केंद्र सरकार की चिंता इस बात की भी है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में इसे भरने की अनुमति दी थी. इसके बावजूद ये सीटें अब तक नहीं भरी जा सकी हैं. आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय इन सीटों को भरने के लिए लगातार विशेष मॉप राउंड भी चला रही है. इसके बावजूद सैकड़ों पीजी की सीटें खाली हैं. मेडिकल कॉलेज के नॉन- क्लीनिकल विभागों की सीटों में एडमिशन लेने एमबीबीएस छात्र तैयार नहीं हो रहे हैं. नॉन- क्लीनिकल पीजी की बायोकेमस्ट्री, एनॉटमी, फिजियोलॉजी जैसे विषयों को लेकर छात्रों में कोई दिलचस्पी नहीं है. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब कई विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया है. मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अगले नीट परीक्षा से पहले इसका समाधान खोज लिया जाएगा.

आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले महीने ही जून के आखिर में इन सीटों को भरने के लिए एक विशेष मॉप राउंड चलाया था, लेकिन इस मॉप राउंड में भी सिर्फ 100 सीटें ही भर पाई. अभी भी 450 सीटें खाली ही हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक ये सीटें ज्यादातर नॉन क्लीनिकल विषयों की हैं. ऐसे में एनएमसी की गवर्निंग बॉडी ने एक बार फिर से इन खाली सीटों को भरने के लिए छात्रों को मौका दिया है. अब पीजी सीटों में एडमिशन की आखिरी तारीख 31 अगस्त कर दी गई है.

नॉन क्लीनिकल ब्रांचों में ग्रुप ड्रग्स, माइक्रोबायोलॉजी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री और फॉरेंसिक ड्रग्स जैसे ग्रुप्स आते हैं.

नॉन- क्लीनिकल सीटें अब ऐसे भरी जाएंगी
देश में नॉन क्लीनिकल ब्रांचों में ग्रुप ड्रग्स, माइक्रोबायोलॉजी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, पैथोलॉजी, फार्माकोलॉजी और फॉरेंसिक ड्रग्स जैसे ग्रुप्स आते हैं. इनमें से एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री पूरी तरह से नॉन क्लीनिकल हैं. जबकि, माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, फोरेंसिक ड्रग्स, पैथोलॉजी, ग्रुप ड्रग्स पैरा-साइंटिफिक के अंदर आते हैं. बार-बार काउंसिलिंग के बाद भी एनाटॉमी, बायोकेमेस्ट्री, पीएसएम, पैथोलॉजी और फिजियोलॉजी सहित अन्य विभागों की हजारों सीटें खाली रह जाती हैं.

अगले साल से नॉन- क्लीनिकल सीटों का क्या होगा?
स्वास्थ्य मंत्रालय की सूत्रों की मानें अगर इस बार भी मॉप राउंड में सीटें नहीं भरी गईं तो अगले साल से इन विषयों की सीटों को लेकर बड़ा ऐलान किया जा सकता है. मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए कई तरह के सुझाव आए हैं. इनमें से एक सुझाव यह भी है कि इन विषयों की सीटें घटा कर कॉलेजों में दूसरे विषयों की सीटें बढ़ा दी जाए. दूसरा सुझाव यह है कि इन विषयों को अब नीट से निकाल देना चाहिए ताकि जो भी एमबीबीएस छात्र इसमें दाखिला लेना चाहें वह बिना परीक्षा के ले लें. तीसरा प्रस्ताव यह है कि मेडिकल कॉलेजों में इन सीटों को खत्म कर दिया जाए, क्योंकि बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी या एनॉटमी का प्रोफेसर बनने के लिए पीडी मेडिकल जरूरी नहीं है.

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हर साल देश में 600 से 800 पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटें बर्बाद हो जाती हैं.

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कुलमिलाकर हर साल देश में 600 से 800 पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटें बर्बाद हो जाती हैं. केंद्र सरकार ने पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि कॉलेज के स्टूडेंट्स पैरा साइंटिफिक और नॉन-क्लिनिकल प्रोग्राम में एडमिशन नहीं लेना चाहते हैं. वे इन कोर्सेज में एडमिशन नहीं लेते हैं. इस वजह से सीटें बर्बाद हो जाती हैं.

Tags: Health ministry, MBBS student, Medical Students, State Medical College



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