हाइलाइट्स
सर्जरी के लिए सुश्रुत 125 तरह के उपकरणों का प्रयोग करते थे.
सुश्रुत ने 300 प्रकार की ऑपरेशन प्रक्रियाओं की खोज की थी.
सुश्रुत संहिता में 150 से अधिक प्रकार के सर्जिकल इक्विपमेंट्स हैं.
नई दिल्ली. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) भारतीय चिकित्सा के जनक के साथ-साथ प्लास्टिक सर्जरी के जनक माने जाने वाले महर्षि सुश्रुत द्वारा की गई 3000 साल पहले की एक सर्जरी पर रिसर्च करने जा रहा है. इसे आयुर्वेद में सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक कहा जाता है. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि सुश्रुत संहिता लगभग 3,000 साल पहले और 600 ईसा पूर्व से पहले लिखा गया था. इस रिसर्च से वर्षों पुरानी वैदिक विद्या और आधुनिक विज्ञान का मिलन होने जा रहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्च दिल्ली एम्स का प्लास्टिक सर्जरी विभाग करेगा. रिसर्च में लेटेस्ट मेडिकल सर्जरी और महर्षि सुश्रुत की सबसे पुरानी रिकॉर्ड की गई सर्जरी का तुलनात्मक अध्ययन (comparative study) होगा. एम्स ने केंद्र सरकार के विज्ञान और तकनीकी विभाग से इस रिसर्च के लिए अनुदान देने का आग्रह किया है.
कौन थे महर्षि सुश्रुत
महर्षि सुश्रुत प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक (Surgeon) थे. सुश्रुत को सर्जरी का पितामह कहा जाता है. सर्जरी के लिए सुश्रुत 125 तरह के उपकरणों का प्रयोग करते थे. सुश्रुत ने 300 प्रकार की ऑपरेशन प्रक्रियाओं की खोज की थी. सुश्रुत ने कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष निपुणता हासिल की थी. सुश्रुत आंख की भी सर्जरी करते थे. इन्होंने सर्जरी के साथ-साथ बॉडी स्ट्रकचर, बॉडी थेरेपी, बाल रोग, स्त्री रोग, मनोरोग (Mental Health) आदि की जानकारी भी दी थी.
महर्षि ने काशी में की थी पहली सर्जरी
आयुर्वेद एक्सपर्ट्स का एक ग्रुप मानता है कि दुनिया की पहली प्लास्टिक सर्जरी काशी में लगभग ढाई हजार साल पहले महर्षि सुश्रुत द्वारा की गई थी. महर्षि के पास एक व्यक्ति अपनी कटी हुई नाक लेकर आया था. सुश्रुत ने पहले तो उस व्यक्ति को नशीला पदार्थ पिलाया ताकि बेहोशी की हालत में उसे दर्द का एहसास ना हो. फिर पत्ते के जरिए उसकी नाक के आकार को समझा और टांके लगाकर नाक जोड़ दी.
सुश्रुत संहिता में 150 से अधिक प्रकार के सर्जिकल इक्विपमेंट्स
एम्स के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष सिंघल के अनुसार सुश्रुत संहिता में 150 से अधिक प्रकार के सर्जिकल इक्विपमेंट्स हैं. यह अलग बात है कि यह इक्विपमेंट्स लेटेस्ट इक्विपमेंट की तरह फाइन और सोफिस्टिकेट नहीं थे. हालांकि, इनमें चाकू, सुई, चिमटा, प्राकृतिक धागे सहित कई नुकीले औजार शामिल थे. इनका उपयोग पानी में कई बार उबालने के बाद किया जाता था.
संहिता में 1120 बीमारियों के लक्षण और उनकी सर्जरी का जिक्र
आयुर्वेद एक्सपर्ट्स का कहना है कि सुश्रुत संहिता में 184 अध्याय हैं. जिसमें 1120 बीमारियों के लक्षण और उनकी सर्जरी का जिक्र है. संहिता में सर्जरी के लिए उपयोग में आने वाले 700 तरह के पौधों की पहचान और गुणों का जिक्र है. इसमें 12 प्रकार की टूटी हुई हड्डियों के फ्रैक्चर और 7 प्रकार की हड्डियों और जोड़ों की डिसलोकेशन का वर्णन किया गया है. वहीं आधुनिक सर्जरी की शुरुआत लगभग 400 साल पहले की मानी जाती है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें sachhikhabar हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट sachhikhabar हिंदी |
Tags: AIIMS, Aiims delhi, Medical Education, Research
FIRST PUBLISHED : July 18, 2022, 13:59 IST