नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high court) ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और केंद्र से उस याचिका पर शुक्रवार को जवाब मांगा, जिसमें बिना फास्टैग वाले वाहनों (Vehicles without fastag) से दोगुना टोल टैक्स वसूलने को अनिवार्य बनाने वाले नियम को चुनौती दी गई है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने उस याचिका पर एनएचएआई और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को नोटिस जारी किया, जिसमें दलील दी गई थी कि यह नियम भेदभावपूर्ण, मनमाना और जनहित के खिलाफ है. कहा गया कि यह नकद में भुगतान किए जाने पर एनएचएआई को दोगुनी दर से टोल एकत्र करने का अधिकार देता है.
हाईकोर्ट ने अधिकारियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 18 अप्रैल तय की गई. याचिकाकर्ता रविंदर त्यागी ने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) संशोधन नियम, 2020 के एक प्रावधान को रद्द करने का अनुरोध किया है. फास्टैग एक ऐसा उपकरण है जिसमें टोल भुगतान करने के लिए ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन’ (आरएफआईडी टैग) तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. फास्टैग (आरएफआईडी) वाहन के विंडस्क्रीन पर चिपका होता है और ग्राहक को टोल भुगतान सीधे उस खाते से करने में सक्षम बनाता है जो इससे जुड़ा हुआ है.
यात्रियों के वाहन में फास्टैग नहीं तो 2 गुना टोल टैक्स वसूली क्यों?
याचिका में कहा गया है कि ये नियम और परिपत्र सभी टोल लेन को 100 प्रतिशत फास्टैग लेन में बदल देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जिन यात्रियों के पास फास्टैग नहीं है, उन्हें टोल राशि का दोगुना भुगतान करना पड़ता है. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि नकद में दोगुना टोल चुकाने की मजबूरी के कारण उसे अपनी कार में फास्टैग लगवाना पड़ा. उन्होंने कहा कि फास्टैग लगाने से पहले उन्होंने दोगुनी दर से टोल टैक्स चुकाया था.
एनएचएआई और मंत्रालय के जवाब से संतुष्ट नहीं था याचिकाकर्ता
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने एनएचएआई और मंत्रालय को एक अभ्यावेदन दिया था, लेकिन वह जवाब से संतुष्ट नहीं था जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.