गर्मियों की छुट्टियों के साथ घरों में बच्चों की धूमधड़ाम शुरू हो गई है. अब नाना-नानी या दादा-दादी के यहां छुट्टी मनाने के जमाने तो फुर्रर हो गए. बच्चे घरों में ही कैद रहकर ये एक-डेढ़ महीने की छुट्टियां बिताते हैं. हालांकि, इन छुट्टियों में बच्चों के सिर पर स्कूल से मिले होमवर्क का ही इतना बोझ होता है कि वे छुट्टियों का आनंद नहीं उठा पाते. लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद बच्चे यह कहते अपने माता-पिता की नाक में दम किए रहते हैं कि बोर हो रहे हैं.
घरों में कैद रहते हुए बोरिंग से बचने के लिए तमाम स्तर पर वर्कशॉप या अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है. साहित्य अकादमी ने बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में किताबों के नजदीक आने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. इनमें बाल साहित्य की नई श्रृंखला और बच्चों के लिए रचनात्मक लेखन जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं.
साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने बताया कि साहित्य अकादमी के पास बाल साहित्य की लंबी श्रृंखला है. इनमें तमाम भाषाओं का उत्कृष्ट साहित्य उपलब्ध है. विदेशी भाषाओं का अनुवाद भी साहित्य अकादमी की कैटलॉग में शामिल है.
बाल साहित्य
सचिव के. श्रीनिवासराव ने बताया कि बाल साहित्य में अंतरिक्ष में विस्फोट ( जयंत विष्णु नारलीकरे, मराठी), अचरजग्रह की दंतकथा (ताजिमा शिंजी, अंग्रेजी), कबूतरों की उड़ान (रस्किन बॉण्ड, अंग्रेजी), गोट्या (ना. धो. ताम्हनकर, मराठी), गोसाई बागान का भूत (शीर्षेंदु मुखोपाध्याय, बांग्ला) सहित जापानी, संस्कृत, हिंदी, असमिया, पंजाबी और अन्य भाषाओं में बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक किताबें उपलब्ध हैं.
हिंदी और अंग्रेजी में रचनात्मक लेखन
साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने बताया कि अकादमी ने बच्चों के लिए हिंदी और अंग्रेजी में रचनात्मक लेखन पर कार्यशाला “किस्सा-ओ-कलम: बोलती कलम” शुरू की है. यह इस वर्कशॉप का चौथा संस्करण है.

साहित्य अकादमी में रचनात्मक लेखन कार्यशाला के लिए नामांकन कराने आए बच्चे
उन्होंने बताया कि “किस्सा-ओ-कलम: बोलती कलम” हमारे बच्चों, हमारे नवोदित लेखकों तथा कल के विचारकों को पुस्तकों की दुनिया में पढ़ने-लिखने के रचनात्मक क्षेत्रों में सहभागिता और आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित करने की ओर एक कदम हैं. 29 मई से 02 जून तक नई दिल्ली में चलने वाली 5-दिवसीय कार्यशाला बच्चों को पढ़ने-लिखने तथा भाषा का आनंद लेने और पुस्तकों की सृजन की दिशा में उन्हें रचनात्मक रूप से मदद करने की ओर पहला कदम है.
डॉ. के. श्रीनिवासराव ने बताया कि इस बार कार्यकाला का शीर्षक है- अनुभूति और अभिव्यक्ति: प्रतिकूल समय में रचनात्मक लेखन. इस कार्यशाला में 50 बच्चों को रचनात्मक लेखक के बारे में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी जाएगी. इस कार्यशाला का संचालन चंदना दत्ता और वंदना बिष्ट द्वारा किया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : May 27, 2023, 09:56 IST